जय जोहार । लक्ष्मन मंदिर के प्रेम कहानी ताजमहल ले घलो अधिक पुराना हे। दक्छिन कउसल म पति प्रेम के ये निसानी ल 635-640 ईसवीं म राजा हर्ष गुप्त के याद म रानी वासटादेवी ह बनवाइस हे। खुदाई म मिले सिलालेख मन के मुताबिक प्रेम के स्मारक ताजमहल ल घलो अधिक पुराना प्रेम कहानी लक्ष्मन मंदिर स्मारक के रूप म प्रमानित हे।
सिरपुर म बने लक्ष्मन मंदिर भारत म ईट मन ले निरमित पहिली मंदिर हे। ये ह रायपुर ले लगभग 90 किलोमीटर के दूरीहा म स्थित हे। येमा बारीक नक्कासी अउ अउ कला के चित्रन हे, जे ये मंदिर ल अउर आकरसित बनाथे।
ईटा मन ले बन लक्ष्मन मंदिर, एक ऊंचा प्लेटफॉर्म म अउ तीन प्रमुख भाग मन म बने हुए हे, जेकर गरभ गृह ( मुख्य घर ), अंतराल ( पैसज ) अउ मंडप ( एक शेल्टर ) कहे जाथे। अन्य धरम मन ल घलोक खूबसूरती ले मंदिर म वातायान, चित्या गोवाक्सा, भारवाहाक्गाना, अजा, कीर्तिमुख अउ कामा अमालक के रूप म डिजाइन करे गेहे।
शैव धरमावलंबी श्रीपुर (मवजूदा सिरपुर) म मगध नरेश सूर्यवर्मा के बेटी वैष्णव धरमावलंबी वासटादेवी के प्रेम के निसानी के सनसनीखेज खुलासा लक्ष्मन मंदिर ले मिले नवा तथ्य मन ले होइस हे। भू गरभ ले उजागर होय तथ्य मन ले स्पष्ट हे के ईसवी 635-640 के बीच रानी वासटादेवी ह राजा हर्षगुप्त के याद म लक्ष्मन स्मारक के निरमान करवाइस।
सिरपुर के पूरा इतिहास लक्ष्मन मंदिर के वइभव ले सदैव जुड़े रहे हे। हर कालक्रम म येकर ले जुड़े नवा तथ्य घलो आघू आइस हे। जेमा लगभग पंद्रह सउ बछर पहिली निरमित ईंटा मन ले बने ये इमारत के शिल्पगत विशेषता मन के अधिक चरचा करे गिस।
ईसवी 1631-1645 के मध्य म ताजमहल के निरमान
आगरा म शाहजहां ह ईसवी 1631-1645 के मध्य म ताजमहल के निरमान कराइस हे। सफेद संगमरमर के ठोस पत्थर मन ल दुनियाभर के बीस हजार ले जादा शिल्पकार मन ह तरासिस हे। ये कब्रगाह ल मुमताज महल के रूप म प्रसिद्धि मिलिस। ताजमहल ले लगभग 11 सउ बछर पूरव शैव नगरी श्रीपुर म मिट्टी के ईंटा मन ले बने स्मारक म विष्णु के दशावतार अंकित करे गेहे, अउ इतिहास येला लक्ष्मण मंदिर के नाम ले जानत हे।
प्राकृतिक आपदा मन ले बेसर
चउदहवीं-पंद्रहवीं शताब्दी म चित्रोत्पला महानदी के विकराल बाढ़ ह घलो ये वइभव के नगरी ल नेस्तनाबूत कर दिस लेकिन बाढ़ अउ भूकंप के ये त्रासदी म घलो लक्ष्मन मंदिर अनूठा प्रेम के प्रतीक बनके खड़े रहिस हे। हालांकि येकर बिल्कुल तीर बनाय गे राम मंदिर पूरी तरह ले ध्वस्त हो गिस हे अउ तीर म ही बने तिवरदेव विहार म घलो गहरी दरार मन पड़ गिस।
चउदह सउ बछर के बाद घलोक शान ले खड़े हे
लक्ष्मन मंदिर के सुरक्छा अउ संरक्छन के कोनो विसेसे प्रयास न करे जाय के बावजूद मिट्टी के ईंट मन ले ये इमारत अपन निरमान के चउदह सउ बछर के बाद घलोक शान ले खड़े हुए हे। 12वीं शताब्दी म भयानक भूकंप के झटका म सारा श्रीपुर (अब सिरपुर) जमींदोज़ हो गे।
11 सउ बछर पुराना हे सिरपुर के ये ‘लव स्टोरी’ ह
जय जोहार । लक्ष्मन मंदिर के प्रेम कहानी ताजमहल ले घलो अधिक पुराना हे। दक्छिन कउसल म पति प्रेम के ये निसानी ल 635-640 ईसवीं म राजा हर्ष गुप्त के याद म रानी वासटादेवी ह बनवाइस हे। खुदाई म मिले सिलालेख मन के मुताबिक प्रेम के स्मारक ताजमहल ल घलो अधिक पुराना प्रेम कहानी लक्ष्मन […]
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