कंडेल नहर सत्याग्रह ….इहां ले जागे रहिस हे असहयोग आंदोलन के अलख
रायपुर। का आप मन ल पता हे के छत्तीसगढ़ अउ गांधी के रिश्ता का हे। दरअसल जे असहयोग आंदोलन ल पूरन स्वराज्य प्राप्ति के राह माने जाथे। वो
असहयोग आंदोलन के अलख छत्तीसगढ़ के कंडेल नहर सत्याग्रह ले जागिस हे।
दरअसल टैक्स ना देय म कंडेल नाम के गांव म रहइया ग्रामीन मन के जानवर अंग्रेज उठा ले गिस हे। येखर खिलाफत आस- पास के किसान मन अउ ग्रामीन मन करिन। वरिष्ठ इतिहासकार आचारय रमेंद्रनाथ मिश्र बताइन के बछर 1920 म छत्तीसगढ़ के धमतरी म बने माडम सिल्ली बांध के कंडेल नहर ले गुजरइया पानी के चोरी के आरोप म अंग्रेजी हुकूमत ह ग्रामीन मन उपर जबरन टैक्स लगा देय रहिस हे।
येखर खिलाफत आस- पास के किसान मन अउ ग्रामीन मन ह करिन। ग्रामीन मन के ये खिलाफत के आंदोलन ल रूप देय म पंडित सुंदरलाल शर्मा, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव अउ नारायण राव मेघावाले जइसे नेता मन ह अहम भूमिका निभाइस। अतना ही नहीं आंदोलन के विस्तार देय बिहार के चम्पारण आंदोलन ले देशभर म प्रसिद्ध होय महात्मा गांधी ल बुलाय के निरनय लेय गिस। फेर पंडित सुंदरलाल शर्मा ह कोलकाता जाके 20 दिसंबर, 1920 के महात्मा गांधी ल अपन संग रायपुर लेके आइन।
कंडेल नहर सत्याग्रह म सामिल होय बर 20 दिसंबर 1920 के जब महात्मा गांधी रायपुर पहुंचिन त उमन ह रायपुर के गांधी मइदान म एक सभा ल संबोधित करिन। रायपुर के संबोधन के बाद जब महात्मा गांधी ह धमतरी पहुंचिन त उमन ल सुने बर अतना भीड़ जुटिस के उमर सेठ नामक व्यापारी ह गांधी ल अपन कंधा म बइठा के मंच तक ले गिस । येखर बाद गांधी जी ह सभा ल एक घंटे तक संबोधित करिन।
गांधी जी ह कहे रहिन हे के जब आप अडिग होके अपन बात कह हूं च दुनिया कइसे रिएक्ट करेही। पहिली इग्नोर करही , फेर आपके मजाक बनाही अउ आप मन ले लड़ही आखिर म जीत आपके होही।
वरिष्ठ पत्रकार गोपाल वोरा के कहिना हे के महात्मा गांधी के संबोधन के ही देन रहिस हे के अंग्रेज मन ल ना केवल अपन फइसला बदलना पड़िस बल्कि जेन किसान मन के जानवर मन ल जब्त करे रहिस हे , ओला घलो लउटाना पड़िस। कंडेल नहर सत्याग्रह ह छत्तीसगढ़ के कतको स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अउ नेता दिस। जेमा महंत लक्ष्मीनारायण दास, केयूर भूषण, महादेवप्रसाद पाण्डेय प्रमुख नाम सामिल हे जे आघू चलके ना केवल स्वतंत्रता संग्राम म सामिल होइन, बल्कि छत्तीसगढ़ के नाम पूरा भारत तक पहुंचाइन।
अइसे नइ के कंडेल नहर सत्याग्रह के बाद गांधी का वास्ता छत्तीसगढ़ ले नइ रहिस। बल्कि 1920 ले लेके 1947 म मिले आजादी के बिहनिया तक देसभर म होय तमाम स्वतंत्रा संग्राम अउ आंदोलन मन छत्तीसगढ़ ह महात्मा गांधी ल याद करत हुए बढ़-चढ़ के भाग लिन। यति यतिन लाल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, पंडित रामदयाल तिवारी, बैरिस्टर छेदीलाल, रत्नाकर झा, रणवीर शास्त्री, सुधीर मुखर्जी, देवीकांत झा, कुंज बिहारी चौबे, वामनराव लाखे जइसे नेतामन ह देसभर म छत्तीसगढ़ के बढ़चढ़ के नेतृत्व करिन।