दाऊ रामदयाल चंद्राकर के सुपुत्र के रूप म गाँव आमदी म 19 मार्च 1919 के जनमे दाऊ महासिंह चंद्राकर के जुड़ाव कला डहार बचपन ले रिहिसे
सत् मारग म कदम बढ़ाके, देश-धरम बर करीन हें काम।
वीर सुराजी वो हमर गरब आय, नांव जेकर हे अनंतराम।।
घनघोर जंगल के रास्ता होवत दुर्गम घाटी ले ६०० के आसपास ऊपर सीढ़िहा लाँघत सुग्घर मनोरम दृश्य, बड़का-बड़का सरई-साजा के रुखुवा जाने-माने अवईया मन के एहर स्वागत करत हो।
राज बनगे राज बनगे, देखे सपना धुआँ होगे
चारों मुड़ा कोलिहा मनके, देखौ हुआँ हुआँ होगे..
सूत उठ के बिहनिया लेे गाँव के किसान मन हा अपन अपन घर लेे दार-चांऊर, नून, मिर्चा, खम्हार पान मा धर के पहाटिया कना जाथें
आस्था के झरना म डुबकी लगाए बर बड़ संख्या म इहां भक्त मन के तांता लगे रहिथे
बादल ह जब नीचे उतरथे त जईसे-जईसे ओखर तीर म जाबे त अईसे लागथे जईसे भुईयां ले बादर बहत हे।
Bastar fighters ready to fight with naxalites
Bhupesh Baghel’s announcement showed the sky to these children
Such a village, where a fishing fair takes place