कल कला क्षेत्र म अउ बढ़ही छत्तीसगढ़ के शान …
रायपुर। देश के राजधानी दिल्ली म 31 मार्च के कला क्षेत्र म छत्तीसगढ़ के शान अउ बढ़ही । थियेटर के क्षेत्र म देश के टाप के संस्थान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली अउ अंतरराष्ट्रीय थियेटर ओलम्पिक्स संस्थान के संयुक्त आयोजन 8वें थियेटर ओलम्पिक्स म बस्तर बैंड गूंजही।
8वें थियेटर ओलम्पिक्स म अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त छत्तीसगढ़ के बस्तर बैण्ड के प्रस्तुति 31 मार्च शनिवार के सांझ के 7 बजे होही। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय म कार्यक्रम के आयोजन करे गेहे। जेमा बस्तर बैण्ड ह देवपाड़ प्रस्तुति प्रदर्शित करही। ये सांगीतिक प्रस्तुति के केन्द्र म देव पाड़ यानी देव संगीत के सहारे घटनाएं घटित होथे। जे ला सांगीतिक शैली म वाद्य मन के सहारे लोक समाज ल आह्वान के संग कथानक ल विस्तार मिलथे।
ये प्रस्तुति म देव आगमन, देव स्थापना, देव के खेलना , आनंदित होत प्रस्थान के भूमिका सम्पन्न होथे। प्रस्तुति म लोक अउ जनजातीय समाज म प्रचलित अउ 60 ले अधिक बस्तर के दुर्लभ लोकवाद्य मन के संगति प्रदर्शन ल विशिष्ट बनाथे। प्रस्तुति म बस्तर अंचल के विभिन जाति, जनजातीय समुदाय के धरोहर कलाकार शिरकत कर ही।
ये लोक वाद्ययंत्र मन के सहारे प्रस्तुति
बस्तर बैण्ड के दुर्लभ वाद्य मन म पेण्डुल ढोल, तिरडूड, गूटा पराय, नर पराय, हुलकि मांदरी, डंडार ढोल, गोची बाजा, धनकुल, नंगरा, तुड़बुड़ी, देव मोहरी, मोहरी, चरहे, चिटकुली, मुयांग, हिरनांग, तातापूती, कासन ढोल, वेद्दूर, तोरम, नेफ्ऱी,अकुम, तोड़ी, सुलुड़, बोपोर, वेरोटी, गूगुनाड़ा, बांस, बीन, टेकनी बांसुरी, सिंघा, ठुड़का, टूडरा, कोटोड़का, ढुसिर, किकिड़, सारंगी, ढुङ्गरू, किंदरा, राम बाजा, डुमिर, पेन ढोल, कच तेहंडोर, पक टेहंडोर, झिंटी, ओझा पराय, सियाड़ी बाजा, तुपकी, कीरकिचा, घंट, जराड़ जइसे ले प्रस्तुति दे जाही।
बस्तर बैंड म इमन ह देही प्रस्तुति
प्रस्तुति के निर्देशन लोक वाद्य मन के अध्येता अउ प्रख्यात रंगकर्मी अनूप रंजन पाण्डेय ह कर ही। भाग लेवइया कलाकार अउ उँखर भूमिका ये प्रकार हे … लक्ष्मी सोड़ी (पेण्डुल पाटा, तिरडूड, उसपाल), हूंगी ताती (पेण्डुल पाटा, तिरडूड,उसपाल), बुधराम सोड़ी (नेफ्ऱी,पेण्डुल ढोल, टेहनडोर, अकुम), सन्नू ताती (पेण्डुल ढोल), लक्ष्मण ओयामी (पेण्डुल ढोल, टेहन्डोर), श्रीनाथ नाग (देव मोहरी,डंडार ढोल), कमल सिंह बघेल (टूडरा, नंगरा, ठुड़का), सोमारू नाग (तुड़बुड़ी, नर पराय, हुलकि मांदरी), चेन्द्री धुरवा (धुरवा पाटा, कीरकिचा), फगनी धुरवा(धुरवा पाटा, कीरकिचा), आयतु नाग (बोपोर,वेरोटी,सारंगी), दसरू कोराम(चरहे पाटा, चरहे,हुलकि पाटा,गूटा पराय,नर पराय,हुलकि मांदरी), सकरु सलाम (गूटा पराय, हिरनांग, कोटोड़का, नर पराय, हुलकि पाटा, हुलकि मांदरी), नवेल कोराम (आंगा, गूटा पराय, हुलकि पाटा, हुलकि मांदरी), आसमती सलाम (लिंगो पाटा, चिटकुली, डोमके पाटा), जयमती दुग्गा (लिंगो पाटा, चिटकुली, डोमके पाटा), रगबती बघेल (लक्ष्मी जगार, धनकुल), स्वाति मानिकपुरी (लक्ष्मी जगार, धनकुल), पनकु सोड़ी (कोटोड़का, हुलकि मांदरी, हुलकि पाटा ), मानकू सोड़ी (चरहे पाटा, हुलकि पाटा, नर पराय, हुलकि मांदरी), विक्रम यादव (बांस, बीन, अलगोजा, टेकनी बांसुरी), वेशभूषा, मंच सामग्री निर्माण अस्मिता पाण्डेय, अनन्या पाण्डेय, प्रकाश परिकल्पना प्रख्यात रंगकर्मी, परिकल्पक अवतार साहनी हे ।