महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल सिक्षा के माध्यम बनाय बर का कहिन वक्ता मन …पढ़व खबर ल
घलोक छत्तीसगढ़ी बर हमला अपनेच राज्य म संघर्ष करना परत हे : नंदकिशोर शुक्ल
रायपुर। छत्तीसगढ़ी राजभाखा हमर महतारी भासा ये, छत्तीसगढ़ राज्य के गठन ह छत्तीसगढ़ी भाखा के आधारेच म होय हे। अऊ इही छत्तीसगढ़ी भाखा अधारित राज्य निरमान बर हमार पुरखा मन ल लंबा संघरस करना परे रहिस, शहादत देना परे रहिस। फेर दुरभाग्य हे के आज राज्य निरमान के 18 साल अऊ राजभाषा बने के 10 साल बाद घलोक छत्तीसगढ़ी बर हमला अपनेच राज्य म संघरस करना परत हे। ये बात गुरूवार के छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मउवका म छत्तीसगढ़ी राजभाखा मंच के संयोजक नंदकिशोर शुक्ल ह कहिन।
दरअसल रायपुर प्रेस क्लब के सहयोग ले छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना अऊ छत्तीसगढ़ी राजभाखा मंच के तरफ ले प्रेस क्लब सभागार म छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस म जनकवि स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया के सुरता म संगोष्ठी के आयोजन करे गिस । संगोष्ठी म परदेस भर ले बड़ संख्या म मनखे सामिल होए रहिन. ए मउवका म नंदकिशोर शुक्ल ह छत्तीसगढ़ी के तकनीकी पहलु मन उपर विचार रखत कहिन के छत्तीसगढ़ी समृद्ध भाखा हे। हिन्दी ले जुन्ना छत्तीसगढ़ी के अपन पूर्ण विकसित व्याकरण हे। तभो ले इहां छत्तीसगढ़ी म प्राथमिक सिक्षा नइ दे जात हे। इहां के लइका मन ल मातृभाषा म सिक्षा नइ देहे जाना कानून के खेलाफ हे। संविधान कहिथे के मातृभाषा म पढ़े के अधिकार सबो ल हे। फेर राजभाषा होए के बाद घलोक छत्तीसगढ़ी म पढ़ई-लिखई नइ होवत हे। उमन आह्वान करिन के सरकार ह कहूं ये दिसा म प्रयास नइ करही त हमन कड़ा संघरस करे बर तइयार हन। लड़ना ही नइ मरना परे त मर जाबो फेर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल सिक्षा के माध्यम बनाके ही रहिबोन।
वरिष्ठ साहित्यकार परदेशी राम वर्मा ह घलोक छत्तीसगढ़ी ल लउहे सिक्षा के माध्यम बनाए के बात कहिन। उमन कहिन के छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य ल नवा पीढ़ी तक पहुँचाए बर मातृभाषा ल सिक्षा के माध्यम बनाना जरूरी हे। मिंझरा भाखा के तउर म छत्तीसगढ़ी ल नइ पढ़ाय जा सकय। उहें साहित्यकार रामेश्वर वैष्णव ह कहिन के छत्तीसगढ़ी भाखा म सबले पहिली एकरूपता लाय के प्रयास करना होही। काबर के बिना मानकीकरण के छत्तीसगढ़ी म पढ़ाई-लिखाई नइ हो सकय। अभी छत्तीसगढ़ी म बहुत अकन हिन्दी के शब्द मन ल टोर के अऊ जोरके लिखे जात हे। ए दउरान रामेश्वर वैष्णव ह गीत घलोक गाइन। उहें कवि मीर अली मीर ह घलोक अपन गीतं के संग छत्तीसगढ़ी भाखा अऊ संस्कृति उपर अपन चिंतन ल जाहिर करिन।
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना के अध्यक्ष लता राठौर ह कहिन के जरूरी हे के हम अपन भाखा अऊ संस्कृति ल लेके संगठित होके काम करन। हमर एकता के बलबूता म ही हम बाहरी ताकत ले लड़ सकबोन। बिना पढ़ाई-लिखाई के महतारी भाखा ल नइ बचाए जा सकय। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल ह लक्ष्णम मस्तुरिया के काम मन ल बतावत कहिन के जइसे मस्तुरिया ह मोर संग चलव गीत गाके छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन ल गति दे रहिन, वइसने हे हम सबला छत्तीसगढ़ी भाखा ल सरकारी कामकाज के भाखा बनाए अउ सिक्षा के माध्यम बनाए बर अपन आंदोलन ल गति देना होही। परदेशियवाद के कुचक्र ले मुक्ति पाना होही। छत्तीसगढ़ सरकार ल बताना परही के बिना छत्तीसगढ़ी के अब सत्ता नइ चलय। ए मउवका म कई वरिष्ठ पत्रकार मन ह घलोक अपन विचार अऊ सुझाव रखिन। ये बेरा म छत्तीसढ़ी म प्रकासित कलैण्डर ‘बछर’ के विमोचन अऊ गुलेल 36 डॉट कॉम के लॉच घलोक करे गीस।