शौचालय ही नइ संघर्ष बर भी याद करे जाही कुंवर बाई
रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वच्छता दूत पद्मश्री कुंवर बाई ह लंबी बिमारी के बाद 23 फरवरी के रायपुर के अंबेडकर अस्पताल म आखरी सांस लींस। निधन ले कुछ घंटे पहिली 106 बरस के कुंवर बाई ले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह वीडियो कॉल ले कुंवर बाई ले बात करके कोशिश करे रिहिस हे। ए ह कुंवर बाई के अंतिम इच्छा रिहिस हे । वो ह चाहत रिहिस कि अंतिम समय म पीएम अउ सीएम ले बात कर लव।
कुंवर बाई ल हमन स्वच्छता मिशन म एक मिसाल के तौर पर याद करबो। कबर कि शौचालय बनाए बर ओह अपन आखरी पूंजी, पाले हुए बकरी मन ल बेच दिस रिहिस हे। धमतरी जिला प्रशासन ह कुंवर बाई के पैत्रिक गांव कोटा भर्री म उंखर अंतिम संस्कार के जिम्मा सम्हाले रिहिस हे।
बता दन कि कुंवर बाई ल सिर्फ शौचालय निर्माण के सेती नइ, बल्कि उंखर संघर्ष मन बर भी जाने जाही। देश के प्रधानमंत्री ह अपन शपथ ग्रहण म ए ऐलान करे रिहिस हे कि वो ह देश म शौचालय बनवाही। बस ऐखर बाद ले देश के जम्मो जिला मन म स्वच्छता के सरकारी अभियान छिड़ गे रिहिस हे। ऐखर उद्देश्य हवय कि महिला मन ल रोज के किरिया के कारण लज्ज न उठाना पड़य। अउ स्वच्छता के आदत बनय। ऐखर बर शहर अउ गांव मन म भरपूर प्रचार प्रसार करिस गिस हे।
धमतरी के गंगरेल बांध के तीर म बसे एक छोटे ले गांव कोटा भर्री म रहइया 104 बरस के कुंवर बाई ल ए बात जंच गिस। वो ह ए उमर म अंदर ले अतेक आंदोलित होगे कि तुरंते शौचालय बनवाए के फैसला कर लिस। लेकिन गरीबी आड़े आ गिस। एखर बाद भी कुंवर बाई के इरादा डगिस नहीं। गरीबी म एक मात्र सहारा उंखर पाले बकरी मन रिहिस हे। कुंवर बाई ह जम्मो बकरी मन ल बेंच दींस। अउ ए पैइसा ले शौचालय बनवा दिस। जो एक मिसाल बनगे। कुंवर बाई ह 104 बरस म न केवल खुद गांव के पहिलि शौचालय बनवाके उपयोग करना शुरू कर दिस।
बल्कि गांव वाला मन के घर-घर जाके शौचालय बनवाए बर जोर दिस। मीडिया के डहर ले ए बात दिल्ली तक पहुंचगे। दिसंबर 2016 म देश के प्रधान मंत्री राजनांदगांव के डोंगरगढ़ आइस । तब सार्वजनिक मंच ले कुंवर बाई के पैर छूके सम्मान करे रिहिस हे।
ए बात मन के अलावा कुंवर बाई के बारे म ए जान लेना जरूरी हवय कि उमन ह जीवन म कतका संघर्ष करिस हे। बता दन कि धमतरी म 40 बछर पहिलि बने गंगरेल बांध म 52 गांव डूब गे। एमा एक गांव कुंवर बाई के रिहिस हे। ऐखर बाद वो ह अपन परिवार के संग बांध के तीर आके बस गे। कुंवर बाई के 12 लइका रिहिस हे। जेमा झन बेटी ह बचिस हे।
कोटाभर्री म कुवरबाई ह कच्चा मकान बना लिस अउ बकरी पाल के अपन गुजर बसर कर् लगिस। ऐखर बाद सरकार के तरफ ले ओला 600 रुपए वृद्धावस्था पेंशन के तौर म मिले लगिस । कुवर बाई ह अपन जीवन 104 साल खुला म शौच कर के गुजार करिस हे। एक सदी पुरानी आदत ल बदले बर कुंवर बाई ह शायद एक झीन म निर्णय ले लिस। न सिर्फ निर्णय लिस बल्कि पूरा गांव ल ओडीएफ करवा दिस।