जब आईस कन्यादान के बारी तब दुलहिन ह अईसे का कर दिस कि सकपका गे बराती अऊ घराती..
अंबिकापुर. सहर के एक समुदायिक भवन म चारों मुड़ा बिहाव के खुसी ह अईसे माते रिहस मानों बांही ल फैला के जम्मो ल गोहारत हे। जम्मो रस्म-रिवाज अई बिहाव के जम्मो तियारी ह पूरा हो गे रिहिस। फेर अईसे का हो गे ऐ खुसी ह कन्यादान के बेरा म दू परिवार मन पर दुखी म तब्दील हो गिस।
जय जोहार के मकसद परिवार के दुखी ल जग-जाहिर करे के नई हे ऐखर सती हमन परिवार के नाम ले परहेज करत हन। फेर हमर कोसिस हे कि हमर पाठक मन के आगू ऐ खबर ल लाके एक संदेस निकलके आए कि जेन माता-पिता ह दिन रात सेवा करके लईका मन ल पाल पोसके बड़े करिन ओखर खुसी ल दुखी म बदले के हक ह का जायज हाबे….
बता देन कि भवन के चारों मुड़ा दुलहिन कस सजाए गे रिहिस। फेर जब कन्यादान के बारी अऊस त दुलहिन ह बिहाव बर मना कर दिस। देर-रात दुलहिन न मनाए के कोशिश करे गिस फेर ओ ह अपन बात म अड़े रिहिस। ऐखर बाद बारात ल बिना दुलहिन लिए वापस लौटना पड़िस।
हर पिता के सपना होथे बड़ धूमधाम ले अपन करेजा के टुकड़ा के हाथ-पीला करके बिदाई करे। एखर बर अपन जिनगी भर के कमाई अऊ लाखों रुपिया खर्चा घलो करथे। फेर जिनगी भर के कमाई घलो काम नई आईस। छेका, तिलक, मंडप, हल्दी के जम्मो रस्म होए के बाद जब बिहाव के सुभ घड़ी अईस त जम्मो भवन सगा-पहुना ले भरे रिहिस। द्वारचार के संगे-संग दूसर रस्म घलो संपन्न हो गे रहिस।
अब बारी रिहिन कन्यादान के जेखर बाद दुल्हा-दुलहिन ल आशीर्वाद दे बर जम्मो आतुर रिहिन। दुलहिन के जोड़ा ल पहिन के युवती ह दुल्हा के पास खड़े रिहिस। कन्यादान के रस्म बर जईसे पंडित ह मंत्रोच्चार शुरू करिस वईसे ही दुल्हन के तेवर ह बदल गे अऊ ओहा बिहाव बर इंकार कर दिस। ऐ इंकार ले बाराती अऊ घराती दूनों के सगा, लाग-मानी मन सकपका गे।
दुलहिन के पिता ह अपन करेजा के टुकड़ा ल समझाए के जम्मो कोशिश करिन.. अपन परिवार के लाज ल रखे के गोहार घलो लगा डारिन फेर युवती ह अपन फईसला ले टस-से-मस नई होईस। मंगलवार के दिन कोतवाली म घलो ऐ घटना ल लेके गहमागहमी बने रिहिस। लड़की पक्ष घलो अपन बेटी के ऐ हरकत ले दुखी हे अऊ बिहाव के जोड़ा म अपन करेजा के टुकड़ा ल महिला मन बर बनाए गे स्वधार गृह के सुपुर्द कर दिन।