नई हे दूनों हाथ.. सुने अऊ गोठियाए ल घलो नई सकय.. फेर कारनामा अईसे …….
हमन गोठ करत हन गौकरण पाटिल के.. उही गौकरण पाटिल जे ह जनम ले दिव्यांग हे.. जेखर दूनों हाथ नई.. गोठियाए अऊ सुने म घलो अक्षम हाबे फेर ए दिव्यांगता ले अईसे आजादी पा लिस कि कोनों यकीन नई कर सकय। आज गौकरण अपन हौसला ले खुद के पैर म खड़े तो हे फेर ओखर काम अईसे हे कि कोनों सामान्य मनखे घलो करे बर दस बार सोचही।
अपन हौसला के धनी गौकरण ह कोनों भी काम बर दूसर उपर आश्रित नई हे। हाथ तो नई हे फेर पैर ले अईसे पेंटिंग करथे कि देखईया मन दांत म उंगली दबा लिही। कम्प्यूटर के की बोर्ड अऊ माउस ल घलो कोनों मजे हुए मनखे कस पैर ले चलाथे। इही नहीं अब गौकरण ए हौसला ल कोरी-कोरी लईका मन के बीच म बांटत हे अऊ दिव्यांग लईका मन ल फाईन आर्ट के तालीम देवत हे।
रायपुर के कोपलवाणी स्कूल म तकरीबन 150 दिव्यांग लईका मन पड़थे। तीन महीना हो गे गौकरण इहां के लईका मन ल फाईन आर्ट के तालीम देवत हे। ए तीन महीना म लईका मन ल ओहा अईसे ट्रेंड कर दे हे कि अपन पैर के साईन लैंग्वेज ले ओहा लईका मन ले बात करथे।
आज गौकरण ह अपन दिव्यांगता ल अभिषाप न मानके दूसर मन के हौसला बर उड़ान बनत हे। फेर गौकरण के बचपन अईसन नई रिहिस। ओहा बचपन ले लेके आज तक सिरिफ संघर्ष करत आत हे। स्कूल अऊ कॉलेज म पढ़ई लिखई बर अब्बड़ दिक्कत के सामना घलो करे हे। काखरो मोहताज न बने एखर सती 12 वीं कक्षा के पढ़ई के बाद ओहा उत्तर प्रदेश के चित्रकुट के कॉलेज म बैचलर ऑफ फाइन आर्ट के डिग्री लिस। ओखर बाद भिलाई आके कंप्यूटर के घलो शिक्षा लिस। गौकरण के पिता के मऊत बचपन म ही हो गे रिहिस। ओखर घर म एक भाई अऊ एक बहिनी हे।
पिता के मऊत के बाद गौकरण ह ठान लिस कि अब अपन दम म कुछु करना हे। ओखर मन म पेंटिंग के क्षेत्र म जाए के बात आ गे अऊ उही ल अपन जीवन के आधार बना लिस। पढ़ई पूरा होए के बाद गौकरण के आगू सबले बड़े चुनौती रिहिस रोजगार के जेखर तलाश म ओहा शहर आ गे। एक दुकान म नौकरी घलो मिल गे जिहां कम्प्यूटर म काम करना रिहिस।
एक साल नौकरी करिस फेर ओखर दिव्यांगता के चलते अतेक पईसा नई मिलिस जेखर ले ओहा अपन हौसला ल उड़ान दे पाए। लोगन मन कई बार ओखर मजाक घलो उड़ाए फेर जेखर नियति म कुछ अऊ लिखे हे ओहा एखर ले टस ले मस होने वाला कहां….? कहिथे न सबो के बेरा आथे अऊ आज गौकरण के बेरा आगे हे पेंटिंग ले ओखर पहिचान हे। इही नहीं पेंटिग के शिक्षा बगरईया ए साधक ह कई लईका मन ल घलो कूची अऊ संग ले उड़ान देवत हे। जय जोहार टीम कोती ले ए साधक के साधना ल कोटिश प्रणाम….. जय जोहार