16 अगस्त जयंती म सुरता: कला अउ साहित्य के संगम रहिस डॉ. सीताराम साहू
रचनाकार- सुशील भोले, संजय नगर, रायपुर
छत्तीसगढ़ी साहित्य जगत म अइसन कतकों रचनाकार आवत रेहे हें, जे मन साहित्य विधा के संगे-संग कला विधा ल घलो धर के संगे-संग रेंगत रेहे हें. डॉ. सीताराम साहू घलो अइसने रचनाकार रहिसे जे उच्च कोटि के कलाकार होए के संगे-संग मयारुक रचनाकार घलो रिहिसे.
मोर जइसन अक्खड़ अउ तार्किक स्वभाव के जनवादी रंग म रंगे पत्रकार-साहित्यकार ल विशुद्ध अध्यात्म के रद्दा म लेग के कठोर साधना म बोरना कोनो आसान बात नोहय, फेर मोर जिनगी म सीताराम साहू जइसन एक मनखे के आगमन घलो होइस, जेन मोर असन घेक्खर मनखे ल ए बुता कराए म सबले बड़का भूमिका निभाइस
रायपुर ले लगे प्रसिद्ध बंजारी धाम वाले गाँव रांवाभांठा के मोर साहित्यिक संगवारी डाॅ. सीताराम साहू के मोर जिनगी म सबले अलगेच ठउर हे. 16 अगस्त 1962 के महतारी कौशिल्या देवी अउ पिता डाॅ. मोहन लाल साहू के घर जेठ बेटा के रूप म जनमे सीताराम संग मोर दोस्ती साहित्यकार के रूप म ही रहिस. मोर संपादन म वो बखत प्रकाशित होवइया छत्तीसगढ़ी भाखा के मासिक पत्रिका “मयारु माटी” के चेतलग पाठक होए के संगे-संग हमन दूनों रायपुर के छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति संग घलो जुड़े रेहेन, तेकर सेती जम्मो किसम के साहित्यिक कार्यक्रम मन म संघरत राहन. आगू चलके मोर रिकार्डिंग स्टूडियो चालू होइस. उहू म इंकर खुद के लिखे जसगीत मनला इंकर सुवारी अउ हमर छत्तीसगढ़ के मयारुक जसगीत गायिका अनसुइया साहू के आवाज म आडियो कैसेट के रूप म निकाले रेहेन, जेन गजब लोकप्रिय होए रिहिसे.
पहिली मोर प्रिंटिंग प्रेस के घलो ठीहा रिहिसे, जिहां ले सीताराम के कविता मन के संकलन “डोंहड़ी” के प्रकाशन होए रिहिसे. बाद म तो अइसे दिन घलो आइस जब कहूँ साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम म जाना होवय त हम दूनों ही जावन. तीर-तखार म तो मोटरसाइकिल म मसक देवन. दुरिहा रहय त बस-रेल के माध्यम ले.
चिकित्सा पेशा ले जुड़े होय के बाद घलो सीताराम एक उच्च कोटि के लेखक होए के संगे-संग मयारुक कलाकार घलो रिहिसे. अपन गाँव रांवाभांठा म वो ह एक समिति बनाए रिहिसे “माँ बंजारी महिला मानस मंडली” के नाम ले जेकर संचालक अपन जिनगी के संगवारी अउ लोकगायिका अनसुइया साहू ल बनाए रिहिसे. आज घलो ए समिति ह पूरा क्षेत्र म एक लोकप्रिय अउ प्रतिष्ठित समिति के रूप म जाने जाथे.
सीताराम अपन लेखन के क्षेत्र म आए के बात ल “डोंहड़ी” काव्य संकलन म लिखे हे- छत्तीसगढ़ म सांस्कृतिक मंच के जयघोष करइया “चंदैनी गोंदा” कार्यक्रम ल देखे के बाद वोमा के लक्ष्मण मस्तुरिया के जम्मो गीत मन मोर दीमाग म चौबीसों घंटा गूंजत राहय. अउ मोर संपादन म प्रकाशित ‘मयारु माटी’ म वो बखत छपत रहे, बड़े-बड़े रचनाकार मन के रचना मनला पढ़के लेखन के रद्दा म आएंव.
सीताराम के ‘डोंहड़ी’ संकलन के कुछ रचना के अवलोकन करिन-
साज सम्हर के आइस देवारी, लक्ष्मी धन बरसावत
माटी के दीया ह करिस अंजोरी, चंदा देख लजावत
धन, धान्य, भंडार भरपूर, भरे राहय तोर ढाबा
मांग करत हंव लक्ष्मी ले मैं, पूरा होवय तोर आसा
नवा फसल म नवा उमंग हे, नवा देवारी फलदायक हो
नवा जोत हे नवा जीवन म, सब ल देवारी मुबारक होगरमी के मौसम म पछीना बोहाए के चित्रण देखव-
बहे पछीना अंग ले टप-टप, सात धार हे गंगरेल कस
अउंट गये सब लाल लहू, तन होगे मछरी भुंजवा कस
मुंह अइलाये दवना पाना, कोन डार जल हरियावय
छूटत हे जब प्रान तपन म, गोरिया काया करियावय
‘दीया फूटगे’ शीर्षक के दू लाईन देखव-
दीया फूटगे अंजोर कइसे होही
तेल गिरगे अब कोन सिरजोही
मंहगाई ल देख-देख दीया ह रोये
तेल बिन बरय कइसे गजब बिटोये
बाती गुनत हे उछला कोन रितोही
दीया फूटगे अंजोर कइसे होही
हमर भारतीय नवा बछर एक सुग्घर चित्रण देखव-
अन्न कुंवारी चुरू-मुरू जब कोठी पउला बीच बीराजे
फुरसुद होगे खेत कमइया महीना माघ अमुवा मौरागे
भरिस मड़ाई गाँव गाँव मुठिया फरा झट उसनागे
साज सवारी रेंगिस मेला तब लागिस नवा बछर आगे
ए जम्मो रचना उंकर शुरुआती दिन के आय. एकर मन के छोड़े एक अउ कविता संकलन “खोरसी” के घलो प्रकाशन होए रिहिसे. एकर मन के छोड़े- करिया बादर (गीत संकलन), पूजा के फूल (गीत संकलन) अउ बुधवा के बोकरा (व्यंग्य संकलन) ह छपे के अगोरा म रिहिसे. सीताराम के लिखे जसगीत मन पूरा छत्तीसगढ़ म आडियो कैसेट के माध्यम ले धूम मचावत रिहिसे. उंकर सुवारी अनुसुइया साहू के स्वर म आकाशवाणी अउ दूरदर्शन म घलो अपन ठउर बनावत रिहिसे, तभे 17 मार्च 2010 के ए बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार-साहित्यकार के अपन पाछू पुत्र डाॅ. दीपक, पुत्री किरण के संगे-संग भरेपूरे परिवार अउ साहित्यिक संगी मनला बिलखत छोड़के परलोक गमन होगे.
छत्तीसगढ़ राज बने के पहिली अउ बने के बाद तक इहाँ छत्तीसगढ़ी भाखा म विडियो फिलिम के घलो एक अच्छा दौर चले रिहिसे. जगा-जगा विडियो थियेटर अउ छट्ठी-बरही जइसन आयोजन मन म टीवी सेट म वीसीआर लगा के छत्तीसगढ़ी विडियो फिलिम मन ल गजब देखे जावय. ए दौर म डाॅ. सीताराम ह घलो चरित्र अभिनेता के रूप म अपन अभिनय कला के जौहर देखावत रिहिसे. सरकारी गोल्लर म हवलदार के रोल, माल हे त ताल हे म भैया के रोल, टूरी मारे डंडा म बाप के रोल, लेड़गा के बिहाव म भांटो के रोल अउ झोलटूराम म बाप के रोल करे रिहिसे. एमन म के कुछ फिलिम मन म उंकर सुवारी अनसुइया साहू ह घलो अभिनय करे रिहिसे. ए फिलिम म के ‘टूरी मारे डंडा’ ह अभी यूट्यूब म घलो उपलब्ध हे.