संघर्ष से सफलता तक ‘लखपति दीदी’ बनीं सुनीता आत्मनिर्भरता की मिसाल
कभी परिवार का खर्च चलाने के लिए दर-दर भटकने वाली सुनीता दीदी आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं। जिनके दिन कभी आर्थिक तंगी और संघर्ष से घिरे रहते थे, वही सुनीता अब अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर ‘लखपति दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं। कभी गाँव और आस-पास के बाजारों में अस्थायी दुकानें लगाकर घर का खर्च चलाने वाली सुनीता दीदी की आमदनी बहुत सीमित थी। जीवन की गाड़ी जैसे-तैसे चल रही थी। लेकिन वर्ष 2020 ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी, जब उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित ‘शिव शम्भू स्व-सहायता समूह’ से जुड़ने का निर्णय लिया। समूह की मदद से उन्हें चार लाख रुपये का बैंक ऋण और साठ हजार रुपये का सामुदायिक निवेश पूँजी प्राप्त हुई। इसी पूंजी को आधार बनाकर सुनीता ने अपनी पहली फैंसी दुकान खोली। उनकी मेहनत और ईमानदारी ने व्यवसाय को नई ऊँचाइयाँ दीं। सफलता के कदम और आगे बढ़े, और जल्द ही उन्होंने दूसरी किराना दुकान भी खोल ली।
आज सुनीता दीदी गर्व से कहती हैंकृ “अब मैं किसी पर निर्भर नहीं हूँ, अपने दम पर खड़ी हूँ।” दो सफल दुकानों के माध्यम से उनकी वार्षिक आय 2,50,000 तक पहुँच चुकी है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की पहल ‘बिहान’ ने उन्हें न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर दिया, बल्कि आत्मविश्वास से भरपूर एक नया जीवन भी। अब वह अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं, यह साबित करते हुए कि संघर्ष चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो, हौसले और प्रयास से सफलता निश्चित है।