माटी के बर्तन बनइया कुम्हार मन ल रोजी रोटी बर करना पड़त हे मशक्कत
जय जोहार….नवनीत शुक्ला। माटी के बने बर्तन के मांग ह अब दिन ब दिन कम होवत जावत हे। एखर सती मिट्टी के बर्तन अऊ आन समान बना के जीवन यापन करइया कुंभकार मन ल दू बेरा के रोजी रोटी बर मशक्कत करे ल पड़त हे। अइसे ही एक मामला ह मुंगेली जिला के लोरमी मुख्यालय के ग्राम अखरार के हे। जिहां 50 कुंभकार परिवार ह अपन मुख्य व्यवसाय मिट्टी के बर्तन ल बना के जीवन यापन करथे। ए कुंभकार मन म आधुनिक फैंसी समान के संगसंग कोरोना संक्रमण के दोहरी मार पड़े हे।
आधुनिक युग म छत्तीसगढ़ के पारम्परिक धरोहर ह दिनोदिन विलुप्त होवत जावत हे। जेला सरकार ह पुनर्जीवित करे ल अऊ देश-विदश म छत्तीसगढ़ के अलग पहचान बनाय बर नरवा, गुरवा, घुरुवा, बाड़ी जइसे महत्वाकांक्षी योजना ल सुरू करे हे। संगेसंग पारम्परिक त्योहार अऊ खेल ल घलो बढ़ावा दे ल सुरू करे हे। ऊहचे दूसर ओर मिट्टी के बर्तन अऊ आन समान बना के अपन जीवन यापन करइया कुंभकार मन के सामने दिनोदिन समस्या ह खड़े होवत जावत हे। विदेशी इलेक्ट्रानिक समान के आ जाय ले मिट्टी के बने, दीये, मटका, गमला, करसा बर कोनो खरीदार नई मिलत हे। एखर सती एखर मन के व्यवसाय ह लगभग खत्म होय के कगार म पहुंच गे हे। गांव के रहवइया महिला नंदनी कुंभकार ह बताइस कि सरकार ले मदद अऊ रोजगार मुहैया कराय ल गुहार लगाय हन। लॉकडाउन के पहिली गर्मी बर बनाय गे सामान ह वइसे ही घर म रखे हे। मिट्टी के होय के सती टूट-फूट के डर घलो रहिथे। एक ओर बारिश अऊ दूसर ओर समान के बिक्री नई होय के सती ले गे कर्ज ल चुकाय के चिंता घलो सताय ल लगे हे।