कबर कहिन कि सिक्छाकरमी मन ह कि मुख्यमंत्री के बात म विस्वास ना करन तो कखर उपर करन
रायपुर । संविलियन के राह म नइए रोड़ा सरकार के नीयत म हे। छत्तीसगढ़ म सिक्छ मन ल वेतन नइ मिले म अखबार के सुर्खियां बन जाथे। 2007 म सिक्छाकरमी मन के मंच ले खुद मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ह 20- 20 करके परदेश के पूरा सिक्छाकरमी मन के संविलियन करके घोषणा करे रहिन हे।
11 साल बीते के बाद म भी सिक्छाकरमी मन के संविलियन नइ करे गेहे। मुख्यमंत्री के बात मन उपर विस्वास ना करन तो
कखर उपर करन। ये बात ल छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के संचालक संजय शरमा ह प्रेस कॉन्फ्रेंस करत हुए कहिन।
शरमा ने कहिन कि सरकार अउ परदेस के मुखिया चाहे तो बिना कोनो संवैधानिक बाधा के 24 घंटा म संविलियन ल हरी झंडी दिखा सकत हे, जरूरत दे तो सिरफ अउ सिरफ इच्छा शक्ति के, जेखर फिलहाल अभाव दिखाई देवत हे। शरमा कहिन कि 2013 विधानसभा चुनाव के पहिलि घर भाड़ा, मेडिकल भत्ता देय के आदेश जारी होइस अउ चुनाव सिरत येला सिरा दिस । हमेशा सिक्छाकरमी मन ल ठगे जात हे।
16 महीना लेसिक्छाकरमी मन ल नइ मिले हे महंगाई भत्ता
मीडिया प्रभारी विवेक दुबे ह कहिन कि सिक्छाकरमी मन बर स्थानांतरण नीति के नाम म केवल पति-पत्नी अउ आपसी स्थानांतरण रखे गेहे। येला भी हर बच्छर नइ खोले जाय। महंगाई भत्ता के आलम ये हे कि 16 महीना ले सिक्छाकरमी मन के महंगाई भत्ता लंबित हे। सिक्छाकरमी के मउत म अनुकंपा नियुक्ति बर उँखर परिजन मन ले डीएड, बीएड अउ टेट जइसे अतका डिग्रियां मांगे जाथे कि परिजन मन ल येखर लाभ नइ मिल पात हे। पुनरीक्षित वेतनमान बर केस जीतइया मामला ल सरकार ह डबल बेंच म चुनौती दे दीस हे।
पांच महीने बाद घलो रिपोर्ट नइ सौंप सकीस कमेटी ह
विरेंद्र दुबे कहिन कि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के तरज म परदेस म संविलियन के घोषणा करे के बजाय इहां बीते 5 माह ले कमेटी के खेल खेलत जात हे। 3 महीना बर बने कमेटी 5 माह के बाद घलो अपन रिपोर्ट नइ सौंप सकत हे।