नंदावत जिनिसः मूसर के नई रहिगे अब बऊरईया
डोमन निषाद (डेविल), डूंडा, जिला बेमेतरा
एक पईत के गोठबात हरय मंय ममा गाँव गेंव रहेंव त ममा गाँव म अलकरहा जिनिस देखेंव अउ गोठे गोठ म ममा दाई ल पुछ परेंव! दाई ओ ए लकडी़ के डंडा बरोबर रहिथे अउ ऐला गड्ढा म काबर पठकथे अऊ ऐला का कहिथे?
तब ममा दाई कहिथे मोला उही मेर इसने नइ काहय रे बेटा ये जेन तैंय देखत हस ओहा हमर छत्तीसगढि़या मन के पहिचान हरय अउ ऐला हमन मूसर कहिथन।
उही मेर ममादाई ह अपन माथा ल धरके कहिथे का दुख ल बतावव रे बेटा पहिली हमर पहारो म ये मूसर ह घरो घर रहय बेटा अब तो ये मूसर ह नंदावत जावत हे। त फेर पुछ परेंव कइसे दाई तोर बहुमन ये मूसर म काम बुता नइ करय का?
मामा दाई खिसिय्या के बोलिस देख बेटा तैं नानेचकून हस फेर तोर सवाल ह अलकरहा हे।
पूछ रे फेर मंय दाई ल पूछें हव ये तूंहार मूसर म का काम बूता करथौं दाई
दूसरा पूछेंव…! ये मूसर ल कोन बनाथे अउ ऐखर नीचे म लोहा के लगे रहिथे तैंन ल का कहिथे। अउ मूसर ल गड्ढा कस म भकरस भकरस कुटथव दाई तैंन ल का कहिथौं।
मोर सवाल ल सूनके दाई ह धरधरा के अउ कहिथे रूक बेटा एक लोटा पानी पियान दे। फेर तोर जवाब ल दूहूँ मामा दाई ह सुग्घर पानी ल पी के बतइस सुन बेटा मूसर म हमन पहिली धान कोदो अऊ सुग्घर दार ल दरन अउ तोर दूसरा जवाब हे ये मूसर ल बढ़ई सो बनवाथे।
मूसर के नीचे म लोहा के लगे रहिथे तैंन ल समी कहिथे बेटा अऊ गड्ढा कस रहिथे तैंन ल बाहना कहिथे जेमा धान कोदो दार कनकी मन ल रख के मूसर म छरथे बेटा. दाई कहिथे फेर का दुख ल बतावव रे हमर छत्तीसगढिया मनखे मन के अलगे पहिचान रहिस पहिली घरो घर म जांता काठा पैली बांस के सुपा घानी ढे़की अऊ मूसर ये जम्मो जिनिस रहय रे अभी कहिबे त येमन नंदावत जात हे बेटा अइसे तइसे मोला बतावत बतावत दाई के आंखी ले आंसू निकल आथे।