सप्तऋषि के तपस्थली मुचकुंद ऋषि आश्रम.. मुचकुंद ऋषि के नाम से पड़िस जेखर नांव मेचका
अशोक पटेल “आशु” तुस्मा,शिवरीनारायण
छत्तीसगढ़ राज के जब बात आथे त इहाँ के सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक विरासत अउ पर्यटक स्थल ह हमर दिलो-दिमाग म चित्र के भाँति अंकित हो जाथे। जेहा आज भी छत्तीसगढ़ के भव्यता, विराटता, अउ पौराणिकता के गाथा ल सुनावत नजर आथे।
हम बात करथन इहाँ के प्राचीन पौराणिक धार्मिक, पर्यटक स्थल के जेहर इहाँ-उहाँ बिखरे पड़े हावय। ए धार्मिक विरासत के कड़ी म एक ठन धार्मिक अउ पौराणिक पर्यटक स्थल हे मुचकुंद ऋषि आश्रम। कटकटात जंगल सुग्घर हरियर-हरियर रुखराई ले आच्छादित जेहर जिला धमतरी से दक्षिण दिशा म १०० किलोमीटर दूरिहा म बसे तहसील नगरी से महज २५ किलोमीटर दूर ग्राम मेचका म हे। इही मेचका ग्राम ले घनघोर जंगल के रास्ता होवत दुर्गम घाटी ले ६०० के आसपास ऊपर सीढ़िहा लाँघत सुग्घर मनोरम दृश्य, बड़का-बड़का सरई-साजा के रुखुवा जाने-माने अवईया मन के एहर स्वागत करत हो। अईसे पहाड़ म बिराजीत हे मुचकुंद ऋषि आश्रम। अउ एकरे नाम से ए गाँव के नाम पड़गिस मेचका। वईसे तो ए स्थली ल सप्तऋषि के तपोस्थली के नाम से जाने जाथे।
कथा म ए आथे की इही स्थली म मुचकुंद ऋषि रहिन जेकर महिमा अपरम्पार हे। जेकर दर्शन करे खातिर स्वयं भगवान श्री कृष्ण आय रिहिन। अउ अपन लीला करके एक झन महाबली राक्षस ल ओ ऋषि से भस्म करवा के ए धरती ल मुक्ति दिलाय रिहिन। ए सम्बन्ध ए कथा आथे की मुचकुंद राजा राक्षस अउ देवता मन के घोर संग्राम होइस तब देवता मन के जीत होईस, तब
अपन थकावट ल दूर करे खातिर मुचकुंद हर शान्ति के लिए सुन्ना अउ सुग्घर स्थली जंगल के तलाश करिन, तब देवता मन इही जंगल म विश्राम करे के सलाह दिहिन। तब ओहर प्रसन्न होके उहाँ चल दिन,अउ ऋषि ह कहिन की- “जेहर मोर विश्राम म बाधा डारही ओहर उही बेरा म भस्म हो जाही।” अउ ए प्रकार से ओहर उहाँ शान्ति पुर्वक तप करे लागिन।
अइसन्हे बेरा के द्वापर युग म एती जब कृष्ण ह कंश के वध करिन तब कंश के साला जरासंध ह कृष्ण ल मारे बर कालयवन राक्षस ल भेज दिस। अउ फेर कालयवन ह कृष्ण ल युद्ध के लिए ललकारिस तब कृष्ण ह अपन लीला करत उहाँ ले भागिस, अउ उहें ल पहुँच गिन जिहाँ मुचकुंद ऋषि ह विश्राम करत रिहिन। ऋषि ह अपन ध्यान साधना म तन्लीन रिहिन, अईसे बेरा म कृष्ण ह अपन पितांबरी ल ओकर ऊपर डार के उही जगह म लुका गिन। एती पाछु करत ओ राक्षस ह पहुँच गे, उही ल कृष्ण समझ के अपन लात म मारना शुरु कर दिस, तब ऋषि ह जाग गे अउ जईसे ही ओकर आँखि खुलिस ओकर गुस्सा के आगी म जलके राक्षस भस्म होगे।
ए पहाड़ म कई एक ठन खोह-खाई हावय, नाना प्रकार के इहाँ प्राचीन मूर्ति मन हावय जेहर इहाँ के धार्मिक अउ पौराणिक गाथा के किस्सा सुनावत नजर आथे। यह भी माने जाथे की इहाँ कर्न राजा के वंशज धर्मदेव मुचकुंद पहाड़ म गढ़ बना के
राज करत उहाँ सुग्गर तलाब के निर्माण करवाय रिहिन। जेकर महिमा अपार हे जेमा पुरा बारह मास सुग्घर पानी ह आज भी भरे रहिथे। जेहा अब्बड़ सुग्घर अउ पावन हावय। अईसे पावन स्थल म जाय के सुग्घर अवसर मिलिस जेमा स्कूल के लईकामन भी साथ रिहिन। अईसे पावन पौराणिक, पर्यटक स्थल म जाके लईकामन मंत्रमुग्ध हो गिन। अउ छत्तीसगढ़ के प्राचीन विरासत से परिचित हो पाईन। जेला आज विकसित अउ संरक्षण करे के आवश्यकता हे।