अब लइका मन पढ़हीं छत्तीसगढ़ी मा
हेमलाल सहारे, मोहगाँव(छुरिया), राजनांदगाँव
छत्तीसगढ़ी भाखा ला स्कूली पाठ्यक्रम मा लागू करवाये बर कतरो दिन ले उदिम होवत रिहिस। हमर छत्तीसगढ़ के पुरखा अउ बड़का साहित्यकार, साहित्यिक संस्था मन घलो अपन महतारी भाखा के मान बढ़ाये बर लगातार प्रयासरत रिहिन। उँखरे सराहनीय अउ ऐतिहासिक विचार के परिणाम आय कि 15 अगस्त 2023 के छत्तीगढ़िया मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी हा छत्तीसगढ़ के अस्मिता अउ पहचान छत्तीसगढ़ी भाखा ला स्कूली पाठ्यक्रम मा शामिल करे के घोषणा करिस। अब अगले शिक्षा सत्र ले जेन क्षेत्र मा छत्तीसगढ़ी भाखा बोले जाथे, उहाँ छत्तीसगढ़ी अउ आदिवासी क्षेत्र में उहाँ के स्थानीय बोली मा पढ़ई-लिखई होही। अभी कक्षा पहली ले पाँचवी तक पाठ्यक्रम के एक विषय के रुप मा सम्मिलित करे जाही। येकर खातिर एस सी ई आर टी के संचालन महोदय जी घलो पांडुलिपि तैयार करे बर निर्देशित करे हे।
अपन महतारी भाखा मा पढ़ई-लिखई बाकी सबो राज्य में होवत हे। अब्बड़ दिन के अगोरा के पीछू अब स्कूली पाठ्यक्रम मा मातृभाषा के शामिल होय ले गर्व के भाव पैदा होय हे। अउ सिरतोन मा नान्हें लइका मन ला उँकर महतारी भाखा ले पढ़ाबे-लिखाबे तब जादा अउ जल्दी समझथे। उँकर समझ बने रेहे ले आगू बढ़े मा आसानी होथे। सबो बात ला अपन स्थानीय बोली मा समझे अउ जाने ले स्थायी ज्ञान बन पाथे। फेर कभू नइ भुला पाए। येकर सेती महतारी भाखा-बोली मा स्कूली पाठ्यक्रम मा शामिल होना बहुते जरूरी रिहिस।
हमर भारतीय संविधान अउ शिक्षा नीति मन मा घलो लइका मन ला अपन मातृभाषा मा पढ़ई-लिखई बर जोर दे हवे। जेला आज सही होवत दिखत हे। भारतीय संविधान के धारा 350 क के अनुसार- “प्रत्येक राज्य और राज्य के अंदर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी भाषा सम्बन्धी अल्पसंख्यक वर्ग के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा।”
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के रूपरेखा 2005 मा हवय- “बच्चों की घरेलू भाषा(एँ), स्कूल में शिक्षण का माध्यम होनी चाहिए। अगर स्कूल में उच्चतर स्तर पर बच्चों की घरेलू भाषाओं में शिक्षण की व्यवस्था न हो तो प्राथमिक स्तर की स्कूली शिक्षा अवश्य घरेलू भाषा(ओं) के माध्यम से ही दी जायें। यह आवश्यक है कि हम बच्चे की घरेलू भाषाओं को सम्मान दें।”
शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के धारा 29(2)(f) मा केहे गे हवय कि,- “शिक्षा का माध्यम, जहाँ तक संभव हो सके, बच्चों की मातृभाषा होनी चाहिए।”
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मा मातृभाषा के महत्व ला स्वीकारत केहे हवय कि- “यह सर्व मान्य है कि बच्चे महत्वपूर्ण संकल्पनाओं को अपनी घर की भाषा या मातृभाषा में बेहतर और जल्दी सीखते हैं। इसलिए जहाँ तक संभव हो कम से कम कक्षा 8 तक शिक्षण का माध्यम बच्चों की घर की भाषा या मातृभाषा या स्थानीय भाषा होगा। इसके बाद, घर की भाषा/मातृभाषा को एक भाषा के रूप में, जहाँ तक संभव हो, सिखाना जारी रखना जारी रखना चाहिए।”
अभी जुलाई महिना में मेंहा 3 दिन ले SCERT रायपुर में “बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान” के प्रशिक्षण लेहो। जेमा प्रमुख बात रिहिस की लइका मन ला हिंदी पढ़े-लिखे बर अउ गणित के संक्रिया मन के ज्ञान सबले पहली कराना जरूरी हे। येमा अब्बड़ जोर के दे केहे गिस कि अपन महतारी भाखा मा लइका मन ला सीखाना हे। जेकर के ओमन जल्दी सीखथे। फेर का करबो हमर सबो पाठ्यक्रम हा हिंदी मा आथे। ता घर के भाखा-बोली छत्तीसगढ़ी अउ स्कूल के किताब हिंदी में होय ले लइका मन बर मुसकुल होय। फेर अब माननीय मुख्यमंत्री जी के घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ी के एक किताब होय ले अभी के सबो लइका मन छत्तीसगढ़ी ला पढ़ही अउ अपनाही घलो। येकर ले छत्तीसगढ़ी के मान-सम्मान मा जरूरी बढ़ोतरी होही।
एस सी ई आर टी के “बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान” कार्यक्रम मा ए बार मातृभाषा पर बढ़िया जोर करे हे। जेहर सराहनीय कदम हवे। शिक्षा मा लइका मन के भाषा के अब्बड़ महत्व हे। येला विचारना जरूरी हवे कि कइसे मातृभाषा लइका मन के सीखे बर उपयोगी होथे। बुनियादी साक्षरता अउ संख्या ज्ञान कार्यक्रम मा ये बात ला रेखांकित करे हे कि- महतारी भाखा या घर के भाषा मा लइका मन शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया मा सक्रिय रूप से जुड़थे अउ शिक्षा बाल-केंद्रित बनथे। लइका मन बर अपन भाखा मा सोचना, समझना, कल्पना करना अउ ऊँचा चिंतन के साथ खुद ला अभिव्यक्त करे बर आसान होथे। अपन अनुभव अउ पहली के ज्ञान ला स्कूल के ज्ञान संग जोड़े बर घलो सहज हो जथे। लइका मन के मातृभाषा के उपयोग ले उँकर आत्मसम्मान अउ आत्मविश्वास बढ़ते। संग मा अपन गुरुजी के मातृभाषा मा गोठयाय ले एक अलगे रिश्ता के साथ आत्मीय जुड़ाव बन जथे। मातृभाषा मा शिक्षा ले दूसर भाषा सीखे मा आसानी होथे। येकर शिक्षण ले लइका मन में सबो विषय के समझ घलो बढ़थे।
अब अगले शिक्षा सत्र ले सबो स्कूल मा छत्तीसगढ़ी के संग स्थानीय बोली मन के पढ़ई-लिखई ले अपन महतारी भाखा के मान बढ़ही। लइका मन ले गुरुजी मन महतारी भाखा-बोली मा गोठबात करही। जेकर के पहली अवइया लइका मन मा स्कूल के संवाद वातावरण सहज होही। अपन भाखा-बोली ले अपन विचार ला बिना डरे कहे बर लइका मन ला बल मिलही। हमर पुरखा मन के साद स्कूली पाठ्यक्रम मा मातृभाषा के शामिल होय ले पूरा होवत हे। अब छत्तीसगढ़ी अपन उचित स्थान ला पाही। येकर बर माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के प्रयास सराहनीय हे। उन ला बहुत-बहुत धन्यवाद!
जय छत्तीसगढ़ महतारी।