छत्तीसगढ़ी साहित्य के पुरोधा सुशील भोले.. 2 जुलाई जनम दिन म बिसेस
आशोक पटेल “आशु “, तुस्मा,शिवरीनारायन
छत्तीसगढ़ के पावन धरा म जन्मे अद्भुत प्रतिभा के धनी, दूरद्रष्टा, छत्तीसगढ़ के मयारू माटी म रंगे रतन बेटा, छत्तीसगढ़ी भाखा के उजागर करईया, कला सँस्कृति, साहित्य, स्वाभिमान के लाज बचईया, आध्यात्म चिंतन के पुरोधा वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार, स्तम्भकार, साहित्य के पुरोधा, सुशील कुमार वर्मा “भोले“ जी के जनम ०२ जुलाई सन १९६१ म शुभ लगन के पावन बेरा म भाठापारा शहर थाना-धरसीवां,जिला-रायपुर म होए रिहिस।
उंखर पिता स्व. श्री रामचन्द्र वर्मा जी, माता स्व. श्रीमती उर्मिला देवी वर्मा जी, के घर म दूसर संतान के रूप म जनम होइस।
श्री भोले जी मन चार भाई अउ दू बहिन हावे। जेमा भोले जी दूसर पाठ के हे। श्री भोले के पिता श्री प्राथमिक शाला म गुरुजी रिहीन जेकर शिक्षा सँस्कार सरलग मिलत रिहीस। अउ एकर से भोले जी ल अड़बड़ लाभ मिलिस। उंखर प्रतिभा हर फरी-फरी दिखे लागिस।
तभे तो कहे गे हे-
“बिरवान के होत चिकने पात।”
“पूत के पाँव पलना म दिख जाथे।”
अइसे माने जाथे की प्रतिभा हर कोनो चीज के मोहताज नई होवय। प्रतिभा ल मात्र अउ मात्र अवसर, समय, स्थान, के दरकार होथे। भले ही कतको विकट परिस्थिति होय। ओहर अवसर पाके अँकुरित हो ही जाथे। अउ ओहर एक विशाल बरगद कस बड़े होके आसपास ल भी अपन सुग्घर छइहाँ प्रदान करथे।
सुशील कुमार वर्मा “भोले जी” के परिवार:-
सम्मानीय भोले जी के धरम पत्नी श्रीमती वसन्ती देवी वर्मा जी हावे । उंखर पुत्री रत्न के रूप म तीन संतान हे जेमा-
१. नेहा वर्मा-पति रविन्द्र वर्मा
२. वंदना वर्मा-पति अजयकांत वर्मा
३. ममता वर्मा-पति वेंकेटेश वर्मा
भोले जी के शिक्षा-दीक्षा:-
आपके शिक्षा-दीक्षा अपन जनम स्थान भाठापारा म ४ थी के शिक्षा ल प्राप्त करिन। ७ वीं तक नगरगांव म अउ ८वीं ले 11वीं तक के शिक्षा रायपुर म प्राप्त करिन। एकर बाद अपन रुचि, अनुसार प्रिंटिंग प्रेस लाइन वाला ट्रेंड म आईटीआई के कोर्स ल पास करिन। अउ फिर प्रेस लाइन म आके एक कुशल कंपोजीटर के रूप सेवा ल शुरू करिन।
भोले जी के प्रेस लाईन अउ साहित्यिक यात्रा:-
भोले जी सबसे पहिली दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र म साहित्यिक यात्रा ल शुरू करिन, इंखर गज्जब के प्रतिभा ल देख के सरकारी प्रेस म इमन ल नौकरी मिल गे। अउ इहाँ कुछ दिन सेवा करिन, लेकिन ओमन ल अपन माटी अपन राज के मया हर खिंच लिस। अउ सन १९८३-८४ म स्वयं के कविता, कहानी के प्रकाशन करे लगीन। एखर बाद तो आज ले सरलग भोले जी के साहित्य साधना, सेवा हर चलत हावय। जेखर लाभ ल हम सब्बो ल प्राप्त होवत हावय। इही दौरान म आप दैनिक अग्रदूत, दैनिक तरुण छत्तीसगढ़, म सहसम्पादक के रूप म सेवा देहे लगीन। अउ इही सब समाचार, पत्र-पत्रिका के सेवा करत-करत स्वयं के प्रिंटिंग प्रेस के संचालन शुरू कर दिन।
जेहर मासिक समाचार पत्र “मयारू माटी” के रुप म स्थापित होइस। अउ इहाँ ल साहित्यिक समाचार पत्र के प्रकाशन तो होबे करिस, इहाँ ल ऑडियो गीत, कैसेट रिकॉर्डिंग भी होय लगिस। जेला भोले जी ह एक सुग्घर स्टूडियो के रूप म आकार दिन।
भोले जी के सुग्घर कविता कहिनी आलेख:-
- छितका कुरिया(काव्य संग्रह (१९८८)
- दरस के साथ(लंबी कविता (१९८९)
- जिनगी के रंग ( गीत व भजन संग्रह (१९९५)
- ढेंकी (कहिनी संकलन (२००६)
- आखर अँजोर (छ ग की सँस्कृति पर आधारित आलेख (२००६) दूसरा संस्करण (२०१७)
- भोले के गोले (काव्य संग्रह (२०१५)
- सब ओखरे संतान (चार गोड़िया मन के संकलन २०२१-२२)
- सुरता के संसार (संस्मरण मन के संकलन २०२१-२२)
भोले जी के कॉलम लेखन
- तरकश अउ तीर (दै.नव भास्कर १९९०)
- आखर अँजोर (दै. तरुण छ ग २००६-०७)
- डहर चलैती(दै.अमृत सन्देश २००९)
- गुड़ी के गोठ (साप्ता. इतवारी २०१०से २०१५ तक)
- बेंदरा बिनास (साप्ता.छग सेवक८८-८९)
- किस्सा कलयुगी हनुमान के (मयारू माटी ८८-८९)
अन्य लेखन-
- प्रदेश एवम राष्ट्रीय स्तर के अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेख कविता कहानी समीक्षा साक्षातकार आदि का नियमित रूप से प्रकाशन।
- “लहर” एवम “फूल बगिया” ऑडियो कैसेट में गीत लेखन एवम गायन।
- अनेक साहित्यिक,सांस्कृतिक मंचों द्वारा गीत एवम भजन गायन।
भोले जी के सम्पादन अउ प्रकाशन:-
- मयारू माटी (छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के पहिली सम्पूर्ण पत्रिका प्रकाशन ०९ दिसम्बर १९८७)
भोले जी के सहसम्पादन-
- दैनिक अग्रदूत
- दैनिक तरुण छत्तीसगढ़
- दैनिक अमृत सन्देश
- दैनिक छत्तीसगढ़ इतवारी अखबार
- जय छत्तीसगढ़ अस्मिता(मासिक)
- अनेक साहित्यिक सामाजिक पत्र-पत्रिकाएँ
भोले जी के आध्यात्मिक जीवन:-
भोले जी के जिंनगी ह आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत रिसे। जेखर कठिन तप ,धियान, साधना ह सरलग १९९४ ले २००८ तक १४ बच्छर तक पोठ चलिस। ए साधना ले भोले जी ल आध्यात्मिक रहस्य, अउ आत्मज्ञान, के प्रप्ति होइस। एखरे सेती ओहर हमेशा कथे कि-
“साहित्य ल, जिनगी ल, आध्यात्म के दृष्टि से देखे जाना चाही।”
ओहर आगे कथें-
“बिना आध्यात्म के जिनगी ल मुक्ति नई मिलय।”
भोले जी ल सम्मान बड़ाई:-
- छ ग राज भाषा आयोग दुवारा (राज भाषा सम्मान २०१०)
- अनगिन सामाजिक,धार्मिक,साहित्यिक संस्था समिति दुवारा सम्मान
- भारत सरकार साहित्य अकादमी दुवारा
- गुजराती एउ छत्तीसगढ़ी भाषा २०१७ के सम्मेलन म भागीदारी
भोले जी के लक्ष्य अउ हार्दिक इच्छा:-
भोले जी के हार्दिक इच्छा ए हावय की हमर छत्तीसगढ़ राज के मूल आदि धर्म एवम सँस्कृति के इहाँ स्थापना।ए सम्बन्ध म ओहर कहिथें- “हमर जो मूल तत्व हे, ओला इहाँ भुला दिए गे हे। जो आज समझत हवन, ओहर हमर सँस्कृति के अंग नोहय।ओ हर उत्तर भारत ले आए हे। जेला हमर ऊपर थोप दिए गे हे। ओ सब ल हटा के हमर अपन सँस्कृति के रक्षा करना हे, अउ ओकर प्रचार-प्रसार करना हे।”
भोले जी के साहित्य सेवा व छग निर्माण म महती भूमिका अउ उंखर उपेक्षा:-
भोले जी ह छग के निर्माण म महती भूमिका निभाए हावय। जेहर एकर अस्मिता,ल, आरुग अँजोर रखे ख़ातिर अपन आप ल समर्पित कर दिन। भोले जी ह भली-भांति जान गे रिसे की छग के सँस्कृति ह कईसे म बाँचही। अउ इहाँ के असल पुरखा, कोन हर आय। ए सबो ल जान के भोले जी हर अपन बात ल छग भाखा साहित्य के माध्यम से दमदारी के साथ उठाए लगीन। भोले जी जब अपन मासिक पत्रिका “अखबार मयारू माटी” के शुरुवात करिन त सबसे पहिली इही अखबार म छतीसगढ़ी भाखा के उपयोग करिन। अउ हमर छत्तीसगढ़ी भाखा के कोठी ल भरे लगीन। अउ अपन पोगरी राज के विकास ल समृद्ध करे के बात करिन। अउ ए परन करिन कि वह आजीवन छत्तीसगढ़ी भाखा के उपयोग करही, अउ अपन राज के बोली भाखा के चिन्हारी करवाही। पर दुख के बात एहर आय की अतका कुछ करे के बाद म भी भोले जी के साहित्य सेवा अउ छग राज के लिए ओकर संघर्ष , सेवा ल भुला दिए गिस। जबकि ओहर एखर असल सम्मान अउ पुरस्कार के लाईक रिहीन। मैं शासन म बइठे मुखिया मन ल ए बिनती करत हाँव की इनकर आरो लेवय। जेखर ओहर लायक हे।
भोले जी के मोती बानी अउ बानगी:-
श्रम के महिमा के सुग्घर गान
पत्थर-पत्थर बोल रहा है,
मन की आंखें खोल रहा है,
तेरे श्रम का हर-एक पल,
इतिहास बन बोल रहा है।।
चलो आज फिर दीप जलादेंश्रम के सभी ठिकानों पर..।
दुख पीरा के सँगवारी
जा रे मोर गीत तय खदर बन जाबे
बिना घर के मनखे बर तय घर बन जाबे।
मया के सुग्घर सन्देशमोर अँगना म आबे चिरइयाँ
मया के गीत सुनाबे..।
माता सेवा के गुहार
मोतियन चउँक पुराएँव जोहार दाई
डेहरी म दिया जलाएँव..।
सार एउ असल के सन्देश
सुशील भोले के गुण लेवा ये
आय मोती बानी,
सार सार म सबो सार हे
नोहय कथा-कहानी।।
सम्मानीय भोले जी के साहित्यिक यात्रा अद्भुत हावय जेमा कोई दु राय नइए। इनकर लेखनी हर अईसे कोनो क्षेत्र म नइये गेहे जेमा नई चले होही। ओकर बारे म कतको लिखबो बोलबो बहुत कम आय। ओकर बारे म लिखना “जइसे सुरुज ल दीया झलकाना आय।” भोले जी हर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य के जीता जागता एक महाकाव्य आय। जेहर छग के स्वाभिमान के लिए, अस्मिता के लिए, मूल आदि धर्म के लिए अपन आप ल समर्पित कर दिन। एकर योगदान ल कभु भुलाए नई जा सके।
उनकर २ जुलाई के जन्म दिवस म ओला हमर छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य, साहित्यकार के तरफ ले बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना हे। उकर सुखमय, स्वस्थ जिनगी के कामना करत हन। इही शुभकामना के साथ उकर साहित्य के सेवा सरलग चलत राहय,हमर भाखा, अउ राज समृद्ध होवत राहय।