छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत रामधुनी (रामछत्त्ता)
✍️गनेश्वर पटेल, ग्राम पोटियाडिह, धमतरी (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ के संस्कृति अउ कला ह अड़बड़ विस्तृत अउ सुघ्घर हे। छत्तीसगढ़ के लोक कला अउ संगीत के अड़बड़ अकन ले रूप देखेंब मिलथे, पन्डवानी, रामायन, जसगीत, नाटक, पंथी नृत्य, भरथरी, बांसगीत, देवार गीत, करमा, सुवा, ददरिया सबो के अपन अपन अलग अलग विशेषता हे, अलग अलग पहिचान हे। ए सबो विद्या मन ह संघर के हमर लोक कला अउ संस्कृति ल सुरुज देंव के किरण सहीं जगजग ले उज्जर अउ प्रकाशवान बनाथे।
इही सबो म एक विधा हमर छत्तीसगढ़ी लोककला म आथे, ए विधा हे रामधुनी जेला स्थानिय भाखा म रामछत्ता तको कहिथे। रामछत्त्ता के एकठन अलगे युनिक पहिचान हे ओ हे कोई भी वाक्य के बाद, गाना म राम भगवान के नाम लिये जाथे। सुघ्घर नृत्य, संगीत, गायन, अउ झांकी के माध्यम ले सुघ्घर भगवान मन के लीला जईसे, तारकासुर वध, शिव पारवती बिहाव, बाली वध, सीता हरण, रावन वध, महाभारत के अड़बड़ अकन ले कहानी, सती सावित्री के कथा, मंदोदरी जनम, सीता जनम, महिसासुर वध, हिरन्यकश्यप वध, जईसे अड़बड़ अकन ले कथा सुनाए जाथे, दिखाए जाथे। एकर प्रसतुतिकरण ह जबर सुघ्घर अउ एकदम आकृष्ठ रहिथे। तेकर सेती दर्षक दिरघा मन तको रामछत्ता ल एकदम एक्टक लगाके, सुघ्घर धियान लगाके कथा ल सुनथे, अउ देखथे।
अब रामछत्त्ता के दू ठोक रूप देखेंब मिलथे:-
पहिली झांकी वाला अऊ दूसर सादा वाला, नृत्य पक्छ वाला
झांकी वाला म कथा ल सुग्घर सुनेके संगे संग देखे के सुघ्घर आनंद मिलथे। कथा के सबो किरदार मन ल संऊहे आघू म देख के मन ह एकदम गदगद अउ प्रफुल्लित हो जाथे। एमा संगीत, गायन, अउ झांकी, नृत्य के सुघ्घर वेरइटी मन ल देखेब मिलथे। सादा वाला रामछत्ता म कथा के संगे संग केवल नृत्य रहिथे। ये विधा म रामधुनी पार्टी मन नृत्य म जबर मेहनत करथे अउ अपन प्रस्तुती देथे ल। नृत्य मन अतेक सुघ्घर रहिथे कि दर्षक मन ह काहथे रहिथे कि कतेक देर गाना चालू होही अउ इंकर मन के नाचा चालू होही कहिके।
रामछत्ता म गायक के अड़बड़ महतवापुरण रोल रहिथे, काबर उही हे जोन ह सुघ्घर कथा ल लयबद्ध बताथे, संग म गायन तको करथे। इही गायक ऊपर सबो दारोंमदार रहिथे। कथा चालू करेके पहिली सुघ्घर पहिली भगवान गनेश के सुमिरण करथे, ओकर बाद माँ स्वरस्वती, माँ दुर्गा काली के, अउ माँ भारती दाई के सुघ्घर सुमिरण करथे आरती करथे, तेकर बाद ही कोनो भी कथा कहानी के शुरुवात करे जाथे।
रामछत्ता के आयोजन करायेके एकेच ठन उद्देश्य रहिथे सबो गाँव वाला मन एक जगा जोरियाय अउ भगवान भक्ती म लीन हो जाये कहिके, जतेक दिन भी ए प्रिरोगराम ह चलथे ओतेक दिन गांव म भक्ती के भव सागर म डूब जाये रहिथे। एकर ले गांव म एकदम सुनता के भावना के जागरण होथे संग म एकर ले भाव भक्ती के गंगा म डूबकी भी लगाय के सुघ्घर अउसर मिलथे।
हमरो गांव म पुरखा मन के देवल सुघ्घर ए कला ल आघू बढ़ाए के उदीम ले विगत 37,38 बच्छर ले हमर गाँव म रामछत्ता के आयोजन करे जात हे। ए आयोजन ह हमर गांव म हर साल तीजा पोरा के सुघ्घर तिहार के घड़ी म करे जाथे। एकर एके उद्देश्य हे कि तीजा के बखत सबो महतारी ल, बेटी मन सुघ्घर रामभक्ती म लीन होवय अउ सुघ्घर भगवान कथा वाचन ल सुने कहिके।