गरीब के होनहार मन अईसे का कर दिस अपराध.. शिक्षा अधिकार कानून के पालन नहीं.. फीस अतेक कि टूट जाहि गरीब के कनिहा..
नवनीत शुक्ला @ जय जोहार
मुंगेली. जिला म अधिकांश निजी स्कूल नियम के धुर्रा उड़ावत हे। फेर इहां के शिक्षा विभाग के कान म जुआं तक नई रेंगत हे। न इंहा शिक्षा अधिकार कानून के पालन होवत हे न ही मोटा फीस ले के बाद कोनों सुविधा पढईया मन ल देत हे। दूसर कोती गरीब के होनहार लईका मन बर बड़का स्कूल म पढ़े के सपना ह सपना बनके रहिगे हे। आरटीई कानून के सही ढंग ले पालन होतिस तक अईसन होनहार गरीब मन ल स्कूल म दाखिला मिल जतिस, जेन म निजी स्कूल म पढ़े के सपना बुनत हे।
स्कूल शिक्षा विभाग दुआरा न कोई जाँच होवत हे न कोनों कार्रवाई। ए मामला ल लेके विभाग ह चुप्पी साध ले हे। शिक्षा ह अब व्यवसाय बन गे हे अऊ अच्छा कमाई होए के सती जिला म निजी स्कूल के बाढ़ आ गए हे। शासन दुआरा निर्धारित मापदंड ले कोनों व्यवस्था नई होय के कारण ऐ व्यवसाय ह फलत-फूलत हे। फेर कई स्कूल म तो बुनियादी सुविधा तक नई हे। ज्यादा तर स्कूल म तो खेले के मैदान तक नई हे। तभो ले अइसन स्कूल ल आसानी ले नवीनीकरण कर दे जात हे। जबकि नवीनीकरण के पहिली विभागीय अधिकारी मन दुआरा निरीक्षण करना अनिवार्य हे। शिक्षा के कानून लागू होए के बाद शासन दुआरा शिक्षक मन बर स्पष्ट गाइड लाइन जारी करे गे हे कि शिक्षक मन के न्यूनतम योग्यता होना चाहि। फेर निजी स्कूल प्रबंधन ह इहू नियम ल ताक म रख दे हे। स्कूल भवन, खेल मैदान, फर्नीचर, व्यवस्था , सफाई, प्रसाधन, के संग जम्मो व्यवस्था बर दिशा-निर्देश जारी करे गे हे। जेखर निजी स्कूल मन खुल के उल्लंघन करत हे।
अधिकतर स्कूल के गुरुजी मन निर्धारित योग्यता ल पूरा नई करत हे। अऊ ते अऊ ओमन ल अपन विषय म तक पूर्ण जानकारी घलो नई रहय। बेरोजगारी के सती नवयुवक मन निजी स्कूल म कम तनखा म तक काम करे बर मजबूर हो जाथे। जेखर कुछ निजी स्कूल प्रबंधन ह खुल के शोषण करथें। पुस्तक, कॉपी, गणवेश, टाई, बेल्ट आदि के मामला म भी स्कूल द्वारा दुकान निर्धारित रहिथे। अगर पालक दूसर दुकान म खरीदी करथे तव ओला नई चले कहिके उही दुकान म खरीदे बर मजबूर कर देथे। अइसनेच फीस के मामला म भी अलग-अलग स्कूल बर दर निर्धारित हे।