किसान के अंतस के हरियाये के तिहार ‘हरेली‘
भारत देश ला ‘तिहार मन के देश‘ कहे जाथे। इहाँ बारहों-महिना कुछु न कुछु तिहार होते रथे। इहाँ अतना विविधता हाबे, जतना शायद कोनो देश म होही। इहाँ के सब प्रदेश मन के खास पहिचान हाबे, जेमा छत्तीसगढ़ अपन कला – संस्कृति के नाम से अलगे पहिचान रखथे। कहे भी जाथे कि यदि कहंचो ऋषि […]
का हे हरेली तिहार के वैज्ञानिक पक्ष.. इही ह हमर बर संकट मोचक हरे माने ल परही
गाँव के बइगा (पुजारी) गाँव भर के सबो देवी देवता ल सुमर गाँव के पूजा पाठ कर गाँव के सुख, शाँति, उन्नति अउ सपन्नता के कामना अउ प्रार्थना करथे।
हरेली परब म बिसेस लेख: खेती किसानी ले जुड़े तिहार हरे हमर अक्ती परब
आज कल आधुनिक तरीका ले खेती होवत हवय. पहिली गोबर खातू के उपयोग जादा करय
हरेली परब हरे हरियाली उत्सव… धरती दाई हर करे पुकार, बिरवा जगाके करव सिंगार
हरेली के दिन गाँव के किसान भाई मन अपन खेती के औजार उपकरण के साफ -सफाई करके, पूजा-अर्चना करथें।
खेती किसानी संग मंत्र जगाए के परब हरेली…
सूत उठ के बिहनिया लेे गाँव के किसान मन हा अपन अपन घर लेे दार-चांऊर, नून, मिर्चा, खम्हार पान मा धर के पहाटिया कना जाथें