तेलंगाना अविलंब निकलना था, लेकिन फिर भी दूर से आए अतिथियों को मुख्यमंत्री ने दिया समय
रायपुर। भारत में अतिथि देवो भवः की महान परंपरा रही है। अतिथि का तात्पर्य ही है जो बिना तिथि, समय आपसे मिलने आए और उन्हें ईश्वर के समान माना गया है। एक सुंदर प्रसंग आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के अस्थाई निवास पहुना में देखने को मिला। दरअसल मुख्यमंत्री ़विष्णु देव साय आज सुबह ही दिल्ली प्रवास से लौटे और 40 मिनट के अल्प विश्राम के बाद ही उन्हें तेलंगाना राज्य के प्रवास पर निकलना था। इसी बीच उन्हें जानकारी मिली कि जशपुर जिले के दुलदुला क्षेत्र से कुछ ग्रामीण उनसे मिलने निवास गेट के बाहर खड़े हैं। मुख्यमंत्री स्वयं जशपुर जिले से हैं और जानते हैं कि यह इलाका राजधानी से दूर है और लंबी यात्रा करके सभी यहां पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री के मन में अतिथि देवो भवः का यही भाव आया होगा और उन्होंने तत्काल सभी को अंदर बुलाया और मुलाकात करने की हामी भरी। चूंकि मुख्यमंत्री के सभी कार्यक्रम पूर्व निर्धारित होते हैं और आज के अति व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद अपनों से मिलने की मुख्यमंत्री की आतुरता ने इस मौके को और खास बना दिया। जशपुर जिले के दुलदुला से आए सभी ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी और उनका आभार जताया। इस दौरान युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमलचंद्र भंजदेव भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे सभी ग्रामीणों का धन्यवाद दिया और कहा कि आप लोग आते हैं, तो ऐसा लगता है परिवार का कोई आया है। आप लोगों के असीम स्नेह का हमेशा ऋणी रहूंगा। आप लोगों के स्नेह से मेरी ऊर्जा बढ़ती है और मैं अपनी जिम्मेदारियां के प्रति दृढ़ संकल्पित हो जाता हूं। मेरी कोशिश है कि प्रदेशवासियों की बेहतरी के लिए अनवरत काम करता रहूं। उन्हांेने ग्रामीणों से कहा कि शीघ्र ही आप सभी से वापस मुलाकात होगी।
दुलदुला से आए सभी ग्रामीणों ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का व्यवहार हमेशा ही सरल, सहज और आत्मीय रहा है। हमने उन्हें हमेशा अपने सुख-दुख के साझेदार के रूप देखा है। अपनी बातें उनके सामने रखते आए है। साय से मिलने में हमें कभी संकोच नहीं हुआ और आज मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे उतनी ही आत्मीयता से हमसे मिले, हालचाल पूछा, क्षेत्र के बारे में जानकारी ली और बोले आप सभी से जल्द ही मिलूंगा। ग्रामीणों ने बताया कि हम पहुना गेट में खड़े थे और उनसे मिलना चाहते थे, लेकिन जब पता चला कि अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वे राज्य से बाहर जा रहे है, तो हमें लगा कि शायद उनसे मुलाकात नहीं हो पाएगी। इसी बीच जानकारी मिली कि उन्होंने हमें तत्काल बुलाया है। हम अपने मुखिया से मिले और हमेशा की तरह वही आत्मीयता, वही व्यवहार देखकर सभी बड़े खुश हुए। उन्होंने बताया कि हम अपने मुखिया को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे थे।