रायपुर। कोनो व्यक्ति कोमा म चले जाथे तब उंखर बचे के उम्मीद सिरिफ 10 फीसदी होथे। लेकिन एक पिता ह अपन लइका के काल के गाल ले खींच के ले आइस। पिता के बेटा उपर प्यार अउ उम्मीद के आघू मइत घलोक हार मान लिग। एती 45 दिन के अथक मेहनत के बाद डॉक्टरो मन ह मानसीराम के जान बचाए म सपल रहिन।
20 वर्षीय मानसीराम दू साल पहिली स्वस्थ रहिस हे अउ मेहनत मजदूरी करत रहिस हे। एक दिन जब वो ह ट्रैक्टर ट्राली म गिट्टी लोड करत रहिस हे तभे अचानक उंखर सिर म दरद उठिस अउ ओखर हालत खराब होत चले गिस । एखर बाद उंखर पिता ह ओ ला केशकाल के हॉस्पिटल म एडमिट कराइस, जिहां ले डॉक्टर मन ओला रायपुर के मेकाहारा रेफर कर देय गिस। इहां घलो मानसीराम के ठीक नइ होय के बात पिता जानसिंह मंडावी ल कहे गिस। तब उमन ह ओम हॉस्पिटल म एडमिट करवाइस। अउ आज मानसीराम एकदम ठीक होगे हे। जेखर ले पिता जान सिंह के आंखी म चमक दिख देवत हे। जानसिंह ह बताइस के बेटा के इलाज बर पइसा नइ रहिस हे त दू जोड़ी बइला ल बेचे बर पड़ीस जेखर ले बेटा के इलाज होइस।
पिता के उम्मीद ल बरकरार रखइया डॉक्टर कमलेश अग्रवाल ह कहिन के केशकाल ले 20 किलोमीटर दूर कूएमारी निवासी मानसीराम मंडावी ल 26 नवंबर 2018 के गंभीर अवस्था म अस्पताल म एडमिट कराय गिस। मरीज कोमा म जा चुके रहिस हे। जांच करे म मानसीराम ल टीवी ले पीड़ित पाय गिस। जे ह 45 दिन के इलाज के बाद एकदम स्वस्थ हो गेहे। अउ मानसीराम ल शुक्रवार के छुट्टी दे दे जाही।
मानशीराम के चेहरे में मुस्कुराहट दोबारा लौट आई है। और मीडिया के सामने बताया कि वह पहले मजदूरी करता था और एक दिन अचानक सिर में दर्द होने लगा जिसके बाद से उसका स्वस्थ खराब हो गया था।