ओ कोन छत्तीसगढ़िया आय जेकर अमर गीत मन ला मिलिस मोहम्मद रफी के आवाज, पढ़व ये खास आलेख… ‘का-का नई रिहिन हरि ठाकुर?’
का-का नई रिहिन हरि ठाकुर?…
मनखे एक, फेर करम अनेक। स्वर्गीय हरि ठाकुर बर ये बात बिल्कुल सटीक बइठथे। सोचत हंव -ओकर जयंती म हमन ओमन ला कोन रूप म सुरता करन। का-का नई रिहिन ओमन? एक आदमी हा अपन जिनगी म कतको किसम ले जूझत-परत के-के रूप म देस अउ समाज के सेवा कर सकथे, ये देखना हे त हरि ठाकुर के जिनगी के जात्रा ला देखव।
हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी भाखा के ओमन अइसे कवि रिहिन, जेकर कविता मन म अउ जेकर गीत मन म अन्याय अउ सोसन के बेड़ी ले माटी-महतारी के मुक्ति के बेचैनी जाहिर होवय। ओमन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, इतिहासकार, पत्रकार, लेखक, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता अउ छत्तीसगढ़ राज बर होय आंदोलन के अगुवा नेता रिहिन। छत्तीसगढ़ के इतिहास अउ इहाँ के कला-संस्कृति, बोली अउ भाखा के ओमन गहन अध्ययन करत कतको गंभीर आलेख भी लिखिन। छत्तीसगढ़ म साल 1857 के अमर शहीद वीर नारायण सिंह समेत इहाँ के कतको महान विभूति मन के प्रेरणादायी जीवन गाथा हा उंकर लेखनी ले जनता के आगू आईस।
हरि ठाकुर के जनम 16 अगस्त 1927 के रायपुर म होय रिहिस। उंकर पिता स्वर्गीय प्यारेलाल सिंह ठाकुर हा एक महान मजदूर नेता, आज़ादी के आंदोलन के महान योद्धा, सहकारिता आंदोलन के कर्मठ नेता, पत्रकार, विधायक अउ रायपुर नगरपालिका के तीन बार निर्वाचित अध्यक्ष रिहिन। स्वर्गीय हरि नारायण सिंह ठाकुर (हरि ठाकुर ) ला देस अउ समाज बर कुछ कर गुजरे के प्रेरना अपन क्रांतिकारी पिता जी ले विरासत म मिले रिहिस। हरि ठाकुर जी हा 3 दिसम्बर 2001 के ये संसार ले बिदा होगें।
उंकर देहावसान के बिहान दिन 4 दिसम्बर के राजधानी रायपुर के मारवाड़ी समसान घाट म सैकड़ों लोगन मन आंखी ले आंसू ढारत ओमन ला अंतिम बिदाई दीन। छत्तीसगढ़ विधान सभा के जड़कल्ला समे के सत्र चलत रिहिस। सदन म उंकर बिसेस रूप ले सुरता करत पक्ष अउ विपक्ष के जम्मो सदस्य मन ओमन ला श्रद्धांजिल दीन। तबके विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल हा श्री ठाकुर के गुजर जाय के बात काहत उंकर जीवन परिचय प्रस्तुत करिन। ओ समय के मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी अउ ओ समय के नेता प्रतिपक्ष श्री नन्द कुमार साय समेत कतको सदस्य मन स्वर्गीय श्री हरि ठाकुर के संघर्स अउ गौरव ले भरे जीवन जात्रा ला बताईन।
श्री अजीत जोगी हा सदन म अपन दुख ला जाहिर करत ये बात केहे रिहिन-“माननीय अध्यक्ष महोदय, आज बिहनिया 10 बजे जब कंचन के काया ला चंदन के चिता म सुताके आगी दे गिस, त ओ चिता के आगू म खड़े मैं हा स्वर्गीय हरि ठाकुर ला बंदगी करत ये सुरता करत रेहेंव कि उंकर रूप म जइसे एक युग के अंत होगे, सिरागे। एक अइसे छत्तीसगढ़ के सपूत ला हमन खो देन, जउन एक संग न जाने का-का रिहिन? कवि रिहिन, साहित्यकार रिहिन, इतिहासकार रिहिन अउ छत्तीसगढ़ के बारे म, छत्तीसगढ़ के इतिहास के बारे म, छत्तीसगढ़ के गौरव रतन मन के बारे म एक चलत-फिरत ग्रन्थ रिहिन । लिविंग इनसाइक्लोपीडिया रिहिन, यह कहना अतिबोल नई होही। श्री हरि ठाकुर हा छत्तीसगढ़ के अस्मिता ले हम छत्तीसगढ़िया मन ला अवगत कराईन । मोर कई संदर्भ ले उंकर संग सम्पर्क रिहिस, सानिध्य रिहिस। मोला सुरता आवत हे कि एक दिन मैं हा दुखी होके उंकर ले पूछे रेहेंव-” छत्तीसगढ़ बर अतेक आंदोलन चलथे। आप मन सबो म सामिल हो जाथव। आप मन वास्तव म हव काकर संग? ओमन जवाब दीन – ” मैं तो छत्तीसगढ़ राज बनइया मन के संग हंव। कोनो भी आंदोलन चलाही…हरि ठाकुर ओकर साथ रही, तब तक साथ रही, जब तक छत्तीसगढ़ राज नई बन जाही।”
हरि ठाकुर अपन विद्यार्थी जीवन म सन 1942 म अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गांधीजी के आव्हान म असहयोग आन्दोलन म घलो सामिल होईन। ये आंदोलन म उंकर दूनों भाई जेल म रिहिन। ओ दिन म हरि ठाकुर रायपुर के गवर्नमेंट स्कूल के छात्र रिहिन। स्कूल म झण्डा फहराए के कारन पुलिस हा ओमन ला गिरफ्तार कर लिस, भले संझा छोड़ दिए गिन, लेकिन रास्ट्रीय आंदोलन म उंकर सक्रियता बने रिहिस। ओमन छत्तीसगढ़ कॉलेज रायपुर म पढ़ई के दौरान साल 1950 म छात्रसंघ के अध्यक्ष घलो चुने गिन। इही कॉलेज ले ओमन कला अउ विधि स्नातक के उपाधि पाईन। साल 1956 ले 1966 तक ओमन रायपुर म वकालत करिन।
देस के आज़ादी के बाद साल 1955 म ओमन गोवा मुक्ति आन्दोलन म हिस्सा लिन। एकर पहिली ओमन विनोबाजी के सर्वोदय अउ भूदान आन्दोलन ले जुड़िन अउ 1954 म ओमन नागपुर ले प्रकासित भूदान आन्दोलन के पत्रिका ‘ साम्य योग ‘ के सम्पादन करिन। ओमन साल 1960 म छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गिन। एकर पहिली 1956 म ओमन डॉ. खूबचन्द बघेल द्वारा राजनांदगांव म आयोजित छत्तीसगढ़ी महासभा के बैठक म सामिल होईन, जिहाँ ओमन ला ए संगठन के संयुक्त सचिव बनाए गिस।
रायपुर म ओमन साल 1966 म अपन पिताजी के साप्ताहिक समाचार पत्र ‘राष्ट्रबन्धु’ के फेर प्रकाशन अउ सम्पादन के दायित्व संभालिन। नब्बे के दसक म ओमन छत्तीसगढ़ राज निर्माण आन्दोलन बर सर्वदलीय मंच के संयोजक रिहिन। एक नवम्बर 2000 के छत्तीसगढ़ राज बनिस, लेकिन दुख के बात आय कि ओमन अपन सपना के छत्तीसगढ़ ला एक राज्य के रूप म विकसित होवत ज्यादा समय तक नई देख पाईन अउ राज बने के बस 13 महीना म 3 दिसम्बर 2001 के ओमन अपन देह ला छोड़के चले गिन।
स्वर्गीय हरि ठाकुर छत्तीसगढ़ के पुराना अउ नवा, दूनों पीढ़ी के बीच समान रूप ले लोकप्रिय साहित्यकार रिहिन।
1995 म उंकर प्रेरना ले रायपुर म नवा-पुराना लेखक अउ कवि मन हा मिलके साहित्यिक संस्था ‘सृजन सम्मान ‘ के गठन करिन। ओमन ला ये संस्था के अध्यक्ष बनाए गे रिहिस। छत्तीसगढ़ के इतिहास, साहित्य अउ इहाँ के कला -संस्कृति के ओमन गहरा अध्ययन करे रिहिन। साल 1970 -72 म बने दूसरा छत्तीसगढ़ी फिलिम ‘घर-द्वार ‘ म लिखे उंकर गीत मन ला लोगन के अपार मया मिलिस। जेमा मोहम्मद रफ़ी के दिलकस आवाज़ म एक गीत ‘ गोंदा फुलगे मोरे राजा ‘ तो आज भी कई लोगन के जबान म बसे हे।
हरि ठाकुर के हिन्दी कविता संग्रह म ‘लोहे का नगर ‘ अउ ‘ नये विश्वास के बादल ‘ छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह म ‘सुरता के चन्दन ‘ हिन्दी शोध-ग्रन्थ म ‘छत्तीसगढ़ राज्य का प्रारंभिक इतिहास’, ‘उत्तर कोसल बनाम दक्षिण कोसल’ विसेस रूप ले उल्लेखनीय हे। ओमन अपन कविता मन म हमेसा आम जनता के दुःख-दरद ला व्यक्त करिन। ओमन गीत विधा के संगे-संग अतुकांत कविता घलो लिखिन। अपन कविता मन के माध्यम ले ओमन देस के सामाजिक-आर्थिक विसंगति म जोरदार चोट करिन। ओकर एक बानगी देखव –
नदी वही है, नाव वही है
लेकिन वह मल्लाह नहीं है ।
धन बटोरने की चिन्ता में ,
जनहित की परवाह नहीं है ।।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन बर गठित सर्वदलीय मंच के संयोजक के भूमिका म ओमन राजनीति म तो रिहिन, फेर ‘राजनेता’ नई बनिन। असल म कवि हिरदे हरि ठाकुर के तासीर ‘राजनेता’ बने के रिहिस भी न ही। ओमन तो एक संवेदनसील रचनाकार अउ निस्काम करमयोगी रिहिन। छत्तीसगढ़ राज्य बनय, ये उंकर सपना रिहिस। एकर सिवाय उंकर कोनो निजी महत्वाकांक्षा नई रिहिस। अध्ययन-मनन, लेखन अउ साहित्य सृजन उंकर दिनचर्या के अनिवार्य हिस्सा रिहिस।
उंकर साहित्य के ऊपर सोध कार्य घलो होय हे। मोर भांची अनामिका ला ‘हरि ठाकुर के साहित्य म राष्ट्रीय चेतना’ बिसय म साल 2011 म पण्डित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा पीएचडी के उपाधि प्रदान करे गे हे।
असल म स्वर्गीय हरि ठाकुर के अतेक लंबा साहित्यिक अउ सार्वजनिक जीवन हा ओ हजारों, लाखों लोगन बर प्रेरना के दीया बरोबर हे, जेमन अपन देस अउ अपन धरती बर कुछ करना चाहथें। नई त ए मानुस देह घलो का आय, जउन हा जनम ले बस अइसने बिन मकसद के मर-खप जाथे। फेर जे लोगन के जिनगी के रस्ता हा उतार-चढ़ाव ले भरे दुर्गम पहाड़ मन ले होके गुजरथे अउ जिंकर जीवन जात्रा हा ओ पथरइला रस्ता म मानवता के कल्यान के मकसद लेके चलथे, ओमन इतिहास बनाके लोगन मन के दिल म हरि ठाकुर के जइसे सदा-सदा बर यादगार बनगे रच-बस जाथें।
(16 अगस्त 2019, स्वर्गीय हरि ठाकुर जी के जयंती म ‘स्वराज करुण’ के लिखे ‘स्मृति आलेख’ ला छत्तीसगढ़ी भाखा म प्रस्तुत करे के एक प्रयास)
-ललित मानिकपुरी, महासमुंद (छत्तीसगढ़)