“अधिकारी मन के जागे ले सुरु होइस झोलाछाप डॉक्टर अउ पैथोलॉजी वाला मन ल डर” –
नवनीत शुक्ला, मुंगेली। कभू काल जिला के स्वास्थ्य विभाग के अमला जागथे जेखर हाल के उदाहरण गीधा म देखे बर मिलिस जहाँ डॉ सुदेश रात्रे नोडल अधिकारी के नेतृत्व म झोलाछाप डॉक्टर के क्लिनिक म छापा मॉरिस।अउ ओखरो क्लिनिक ल बंद कर दिस। हाईकोर्ट के आदेश म जिला म फलफूल रहे झोलाछाप डॉक्टर मन के ऊपर कार्यवाही होत हे।
जिला म झोलाछाप डॉक्टर मन के संख्या म कमी आये हे। मुंगेली जिला म स्वास्थ्य विभाग के ओर समय समय म अभियान चलाए तव जाथे पर कोई ठोस कार्यवाही न होय के कारण झोलाछाप डॉक्टर मन के हौसला ह बुलंद हे।
अभी हाल म एक मामला सुने बर मिलिस जेमा झोलाछाप डॉक्टर के कारण 1 मरीज ल बहुत कष्ट उठाये बर पड़िस।
मुंगेली म लगभग कुछ ही पैथोलॉजी लेब अउ नर्सिंग होम हे जेन पंजीकृत हे। फेर भी इहां कई ठक लेब गुपचुप तरीक़ा ले अपन काम ल संचालित करथे। अउ जब छापामारी के कार्यवाही होथे तव अपन दुकान ल बंद कर देथें। अउ कुछ दिन बाद फिर अपन काम म लग जाथे। यही हाल निजी अस्पताल अउ नर्सिंग होम तक के हे । जहाँ न तव सफाई के ध्यान दिए जाथे अउ न ही अपन मेडिकल कचरा ल सुव्यवस्थित रूप ले नष्ट करे जाथे। यही हाल लोरमी ब्लॉक तक म देखे बर मिलथे। उहा के सामुदायिक केंद्र तक ह खुद बीमार नजर आथे। सफाई के मामले म तक कोई व्यवस्था नजर नई आवय। अल्टरनेटिव मेडिसीन , बंगाली पद्ति ले दवाई देहे वाले मन तक ह अपन दुकान दारी चलात नजर आथे।
नगर अउ आसपास के गांव म जहा झोलाछाप डॉक्टर मन के दबदबा आज भी कायम हे वही सरकारी अस्पताल म सुविधा के कमी के चलते लोगन झोलाछाप डॉक्टर मन के चंगुल म फसथे। जेखर ये मन फायदा उठाथे। अउ मनमानी फीस लेथे।
ये हमर सिस्टम के नाकामी कहे जाए कि करोड़ो रुपिया स्वास्थ्य विभाग ह जागरूकता अभियान म खर्चा करथे। तभो ले लोगन प्रशिक्षित डॉक्टर मन तीर आये के बदला गाँव म ही इलाज कराना पसंद करथे।
” जिला म झोलाछाप डॉक्टर मन के ऊपर समय समय म कार्यवाही करें जाथे। अउ जहाँ उखर संचालन के सूचना मिलत हे तुरंत कार्यवाही करें जाही। समय समय म नर्सिंग होम के भी निरीक्षण किये जाथे ।” डॉक्टर सुदेश रात्रे, नोडल अधिकारी मुंगेली