टाइगर रिजर्व बर दे दीन अपन भुंइयां, आज दर-बदर भटकत हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र मन
(नवनीत शुक्ला) मुंगेली। मुंगेली जिला के लोरमी ब्लाक म रहइया बैगा आदिवासी मन के जीवन हा 10 साल ले जेन परिस्थिति म गुजरत हे ओखर अंदाजा लगा पाना बहुत कठिन हे। एक कोती जिला के सान टाइगर रिजर्व हवय, त दूसर कोति जेन मनखे मन ल हटाके टाइगर रिजर्व बर जमीन अधिग्रहण करे गे रिहिस, ओ मनखे मन आज दर-दर के ठोकर खाय बर मजबूर हो गे हवंय, न तो उंखर कोनो सुनइया हे न कोनो करइया। कोन उंखर गुहार ल सुनही ये ह बहुत भारी सवाल बनत जात हे ।
दिन बदलथे, साल बदलथे इहां तक अब सरकार घलोक बदल गे, फेर उंखर समस्या जस के तस हे। कभू मौसम के मार त कभू जंगली जानवर के डर, ओखर बीच म ये बईगा आदिवासी मन जिये बर मजबूर हवंय। सरकार उंखर उत्थान बर काम तो करत हे, फेर सरकारी सुविधा के लाभ ओ मन ला न ही के बराेबर मिलत हे। जिला म अवइया लोरमी ब्लाक के ज्यादातर हिस्सा वनांचल हे, जिहां कई जगह आजो ले कई योजना के लाभ नई पहुंच पाय हे।
जनदर्र्सन म आये बर सुदूर वनांचल के मनखे मन ल कई किलोमीटर रेंगे बर परथे। जउन बैगा आदिवासी मन राष्ट्पति के दत्तक पुत्र कहाथें, तउन मन आज दर-दर के ठोकर खाय बर मजबूर हें। मनरेगा म काम के पइसा समय म नई मिलय। अतरिया गांव के मामला जब जनदर्शन म आइस त ओखर मन के कहना हे कि काम होय के 6 महीना के बाद उंखर मजदूरी मिलथे, नई त रोजी के अगोरा म साल घलोक निकल जाथे।
एक कोति अपन जगह ल गंवाए के दुख अउ दूसर कोति वन विभाग के रवैया ल झेलत ये मनखे मन अपन गुहार ल लगाथें त मार के दरद उंखर तन म साफ नजर आथे, जेखर ले गुसिया के लोरमी बिधायक धर्मजीत सिंह हा कुछ दिन पहिली जिला के मुखिया ले गोहार तक करे रिहिन, ताकि फेर कभू अइसन घटना झन होवय। काली जिला के प्रभारी मंत्री के दौरा म तक लोरमी बिधायक हा ओखर आगू बात रखिस कि दोषी अधिकारी मन के ऊपर कार्यवाही करे जाय, ताकि बइगा आदिवासी मन ला उंखर हक दिलाये जा सकय।