जेखर लोकगीत ल सुनके, चारों मुड़ा बगर जाथे माटी के खुशबु
दिलीप साहू के रिपोर्ट ….
जय जोहार. जेखर गीत अऊ लोकगीत म जम्मो छत्तीसगढ़ समाहित हे, जेखर मौजू़दगी ले जम्मो छत्तीसगढ़ गौरान्वित हे। अईसने एक शख्सियत हे जेखर नाव स्वर कोकिला पद्मश्री ममता चंद्राकर हे। छत्तीसगढ़ महतारी के आरूग छांव म बईठके अपन स्वर लहरी ले प्रदेश के जन-मन ल श्रृंगारित करईया ऐ कला के साधक ह छत्तीसगढ़ के पहचान बन गे हे। एमन अपन लोकगीत के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक रस गंगा ल अपन कंठ लहरी म बगराके जन-मन के पोर-पोर ल आनंदित कर दे हे।
ममता चन्द्राकर के जनम 3 दिसंबर 1958 के लोक कलाकर दाऊ महासिंह चंद्राकर अऊ माता गया बाई के तीसर संतान के रुप म होईस। पद्मश्री ममता ह बताथे कि जनम के समय ले ओ ह दुबर पातर रिहिस। जब ओमन ह स्कूल म दाखिल होईस त ओखर नाव ममता ले बदल के मोक्षदा रख दे रिहिस। आज तक ऐ नाम पर रिकार्ड म चलत हे, लेकिन पूरा दुनिया ओमल ल ममता चंद्राकर के नाव ले जानथे।
कक्षा दूसरी ले लग गे संगीत के सेवा म
ममता के प्रारंभिक पढ़ाई शनिचरी बाजार दुर्ग के नरेरा स्कूल हे होहे। इहां तीसरी तक के पढ़ाई करे के बाद चौथी अऊ पांचवीं कक्षा के पढ़ाई बैथड स्कूल म होईस। प्रायमरी के बाद आदर्श स्कूल केलाबाड़ी म आगे के पढ़ाई ल करिन। इहां मैट्रिक के शिक्षा ल ग्रहण करिन। पढ़ाई-लिखाई के संगे-संग दूसरी कक्षा ले ही ममता ह संगीत क्लास जाना शुरू दे रिहिन। ओमन अनुपम संगीत समिति दुर्ग म संगीत शिक्षक जगदीश देवांगन ले शिक्षा लेत रिहिन। ऐ सिलसिला ह कक्षा आठवीं तक चलिस। एक बार संगीत क्लास छोड़के संगवारी मन संग खेले बर जाए के बाद अनुशासन प्रिय पिता दाऊ महासिंह चन्द्राकर ले अब्बड डांट घलो खाए रिहिन। इही ऐखर जिनगी भर के एक सीख रहिस जेन ह आज ओला ऐ मुकाम म ला के खड़े कर दे हे।
नींद ले उठके सुनाईस गाना
शहर म जब जब कोनों नामी कलाकार आतिस त ममता के पिता दाऊ जी ओमन ल घर म न्यौता जरूर देतिस। संगे-संग ओखर सामने ममता ल गाना सुनाए बर जिद करतिस। साल 1975 म एक कार्यक्रम के सिलसिला म मशहूर तबला वादक निजामुद्दीन खां के दुर्ग आना होईस। तब ममता ह 17 बरस के रिहिन। खां साहब के कार्यक्रम ह रात म एक बजे खत्म होईस। ऐखर बाद खां साहब दाऊजी के घर आईन। तब ममता ह गहरा नींद म रिहिन। दाऊ जी ओमन ल नींद ले उठाके खां साहब के आगू गाना गाए के पेशकश करिन। नींद म ममता ल थोड़ा देर तक तो कुछु समझ म नई आईस कि अतेक रात के गाना गाए बर काबर कहत हे। लेकिन पिता के आदेश रिहिस ऐखर सती बे-मन ले गाना सुनाईन। ममता ह खां साहब तीन गाना सुनाईन। ऐमा उपहार फिलिम के गाना “सूनी रे नगरिय“, अभिमान के “पिया बिना पिया बिन“ अऊ “ये कैसा सुर मंदिर है‘ शामिल रिहिस। जईसे ही ममता के गाना खतम होईस खां साहब के मुंह ले ओ वक्त एके शब्द निकलिस वो हरे वाह,,,, । एखर बाद ओमन ह कहे रिहिन के ऐ लड़की ह अब्बड़ आगे जाहि। अईसने एक बार तबला वादक काले खां साहब घलो दुर्ग आए रिहिन, तभो ममता ह ओमन ल नींद ले उठके गाना सुनाए रिहिन।
संगीत के पहिली पड़ाव लोक कला मंच के सोनहा बिहान
ममता चन्द्राकर ह 9 के छोटे उम्र ले मंच म गाना शुरू दे रिहिन। ओ समय के लोकप्रिय कला मंच चंदैनी गोंदा म अवसर नई मिले के बाद पिता दाऊजी ह साल 1974 म खुद के लोककला पार्टी बनाईस, जेखर नाव सोनहा बिहान रखे गिस। ऐ नाव डॉ. नरेंद्र देव वर्मा के किताब “सुबह की तलाश‘ के छत्तीसगढ़ी अनुवाद हे। इहें ले ममता के रुप म छत्तीसगढ़ के स्वर-कोकिला के उदय होईस। सोनहा बिहान म करीब 40 सदस्य रिहिस। ऐमा प्रमुख रहिन केदार यादव, मदन निषाद, गुलाब बाई, प्रमोद शर्मा, साधना यादव, प्रीतम साहू, सत्यमूर्ति देवांगन, मुकुंद कौशल, प्रमिला चंद्राकर (ममता की बहन), बसंती, माया, लक्ष्मण चंद्राकर अऊ दीपक चंद्राकर शामिल रिहिन। सोनहा बिहान के पहिली शो 7 मार्च 1974 के ग्राम ओटेबंद म होए रिहिस। ऐ शो के शुभारंभ- अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार जईसे आज के लोकप्रिय गाना ले होए रिहिस। ऐ गाना ल खुद ममता गाए रिहिन। ऐमा सुआ, ददरिया घलो पेश करे जाए। शो म ममता के गायन जईसे शुरू होए दर्शक मन के खुशी के कोनों ठिकाना नई रहय। अपन खासियत अऊ विशेष अंदाज के सति ऐ संस्था ह दिनोंदिन लोकप्रियता के शिखर म चढ़त गिस। 27 अगस्त 1997 म ममता के पिताजी दाऊ महासिंह चंद्राकर के देहावसान हो गे अऊ सोनहा बिहान घलो ओखर संगे संग अस्तांचल म विलीन हो गे, लेकिन दाऊ जी के होनहार सुपुत्री ह ओ स्वर्णिम किरण ल आलोकिक रखे बर लगातार प्रयत्नशील हे।
प्रेम चंद्राकर से विवाह
पद्मश्री ममता चन्द्राकर अऊ प्रेम चंद्राकर के बीच जान पहचान सोनहा बिहान के दौरान होईस, जेन ह आगे चलके 12 मार्च 1986 विवाह के बंधन म बदल गे। एखर पीछे एक रोचक कहानी घलो हे। दरअसल प्रेम चंद्राकर मूलत: पाटन ब्लॉक के गुढ़यारी गांव के रहवईया ऐ। उहें ले मैट्रिक तक पढ़ाई करे के बाद 1976 म कॉलेज के पढ़ाई बर अपन बड़ी मां इहां दुर्ग आगे। जिहां साइंस कॉलेज दुर्ग म एडमिशन लिन फेर एक साल बाद ओखर रुचि विज्ञान विषय म नई होईस, एखर सति ओ ह भिलाई के कल्याण कॉलेज म कॉम के पढ़ाई करे बर लग गे। प्रेम के बड़े मम्मी के बेटा लक्ष्मण चंद्राकर घलो ममता के संस्था सोनहा बिहान ले जुड़े रिहिस। अईसे में ममता अऊ ओखर परिवार के आना-जाना लगे रहय। ममता के घर तब मीलपारा म रिहिन, जबकि प्रेम उहां ले 6 किलोमीटर दूर रहत रिहिन। एक बार सोनहा बिहान के शो मनेंद्रगढ़ म होईस, एखर बर कलाकार मन ल इकट्ठा करे के जिम्मेदारी प्रेम ल दे गे रिहिस। ऐ जिम्मेदारी ल ओमन ह बखूबी निभाईन। एखर बाद प्रेम नियमित रूप ले संस्था बर काम करे बर लग गे। कार्यक्रम के दौरान दुनों के बीच अच्छा जान पहचान हो गे अऊ परिवार वाला मन ह राजी खुशी दुनों ल विवाह बंधन म बांध दिन। शादी दुर्ग म ही एक सादा समारोह म होईस।
शुरुआत में नौकरी बनी बाधक
सोनहा बिहान के कुछ शो के बादेच ले ममता ह मशहूर हो गे रिहिन। प्रदेशभर के लोगन मन ओला एक बेहतर लोक गायक के तौर म जाने ल लग गे रिहिन। इही बीच 1983 म रायपुर आकाशवाणी म कार्यक्रम अधिकारी के रूप म ओखर नौकरी लग गे। नौकरी के बाद ममता मेर समय नई बच पाए कि कोनों शो कर ले। प्रशासनिक कामबूता म ही अधिकांश समय निकल जात रिहिस। कोनों तरह ले थोड़ा समय निकाल के ममता स्टेज म परफार्म करे। 1986 में विवाह के कुछ महीने बाद दाऊ मंदरा जी के याद म लखौली गांव में एक भव्य कार्यक्रम होवईया रिहिस। आयोजक मन सप्ताहभर पहिली ले कार्यक्रम म गाए बर आमंत्रित करे रिहिन। फेर कार्यक्रम के ठीक एक दिन पहिली ऑफिस ले ऐ शो बर परमिशन नई मिलिस। ऐ घटना ले ममता ल गहरा आघात लगिस, जेखर बाद ओमन ह रियाज बंद कर दिस। इही 6 साल के वक्त रिहिस जेन ह ममता के जीवन म घुटन भरे रिहिस।
एलबम ले फेर होईस संगीत म वापसी
10 जनवरी 1992 म सालीमार कैसेट कंपनी के मालिक ताराभाई के ममता मेर फोन आईस। जेन ह ममता के संग मिलके एक ऑडियो कैसेट बनाए के पेशकश करे रिहिन। ऐ उही ताराभाई हरे जेन ह ममता के कठिनाई भरे दौर म गाना गाए के प्रस्ताव ल रखे रिहिन। ऐ प्रस्ताव ल ममता ह स्वीकार कर लीन अऊ ओडिशा के कटक म 24 गाना के रिकार्डिंग घलो हो गे। ऐमे ले 22 गाना अईसे रिहिन जेमा ममता ह सुबह ले लेके रात तक लगातार रिकॉर्डिंग करिन। जम्मो गाना बाजार म तीन कैसेट के रूप म आगे। ऐमा पहिली कैसेट- ममता के मया, दूसरा- चिनहा अऊ तीसरा-सुरता रिहिस। तीनों एलबम ल अईसे प्रसिद्धि मिलिस कि ममता के गाना छत्तीसगढ़ के हर कोना म बाजे ले लग गे। संगे-संग ऑडियो एलबम के दुनिया म ओमन स्टार बन गे। एखर बाद जसगीत, बिहाव गीत, संगवारी, पइरी के संग लगभग दर्जनभर एलबम मार्केट म आगे। ममता के इही प्रसिद्धि ल देखके सुंदरानी विडियो वर्ल्ड अऊ केके कैसेट कंपनी घलो ओमन ल लेके एलबम बनाए बर लग गे।
अपना अंचल घलो बनिस मील के पथरा
ममता चंद्राकर ह रायपुर दूरदर्शन म “अपना अंचल‘ नाव ले एक स्पांसर कार्यक्रम शुरू करिस। जेन ह तब संझा साढ़े 5 बजे प्रसारित होत रिहिस। ऐमा ममता जम्मो ऑडियो एलबम ल पिक्चराइज करके दिखाए जात रिहिस। ऐ कार्यक्रम ह लगातार 2 साल ले चलिस। तब के दौर म ऐ कार्यक्रम ह पॉपुलेरिटी के हर मुकाम ल हासिल कर ले रिहिस। जईसे कार्यक्रम के समय होए लोगन मन टीवी के सामने बईठ जात रिहिन। इही बीच म दूरदर्शन म ममता के नवा एलबम- लोकरंजनी घलो आ गे। ममता के गाए गीत- तोर मन कइसे लागे राजा.. लोगन मन के जुबान म चढ़ गे। ऐ गाना के शूटिंग ममता के वल्लभनगर निवास म होए रिहिस।
छत्तीसगढ़ी फिलिम म गीत-गायन
नवंबर 2000 म छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व म आए के बाद छत्तीसगढ़ी फिलिम के बाढ़ आ गे। ममता ल पहिली फिलिम म ब्रेक प्रेम चंद्राकर निर्देशित- मया दे दे मया ले ले से मिलिस। वर्ष 2001 म ऐ फिलिम ह रिलीज होईस जेन ल काफी सराहे गे रिहिन। ममता ह ऐ फिलिम के लगभग सबो गाना ल गाए रिहिस। ऐमा तोर मन कइसे लागे गाना ल घलो शामिल करे गे रिहिन। संस्कृति विभाग ह छत्तीसगढ़ी फिल्म सिने अवार्ड कार्यक्रम आयोजित करिस। जेमा ममता ल बेस्ट सिंगर के अवार्ड ले नवाजे गिस। एखर बाद ममता लगातार फिलिम म पार्श्व गायन करे बर लग गे। ऐमा प्रमुख हे- परदेशी के मया, तोर मया के मारे, रघुबीर, मया दे दे मयारू, माटी के लाल, बैरी के मया, सजना मोर आदि। मया दे दे मयारू के गाना- सास गारी देथे गाना ह खासा मशहूर होईस। ममता के आवाज म आज भी खनक अऊ जादू मौजूद हे।
अभिनय कला म घलो हे माहिर
कम मनखे ल जानकारी होही कि ममता एक अच्छी अदाकारा घलो हे। ऐ बात के खुलासा तब होईस जब ओमन- क्षितिज रंग शिविर दुर्ग द्वारा मंचित नाटक- अंधेरे के उस पार म अभिनय करे रिहिन। भिलाई के नेहरू सांस्कृतिक सदन सेक्टर-1 में ऐ नाटक के मंचन करे गे रिहिस। बात 1 जुलाई 1971 के हरे। रामहृदय तिवारी ऐ नाटक के निर्देशक रिहिस। नाटक म ओमन ह भूमिका निभाए रिहिन। विनायक अग्रवाल नायक के भूमिका म रिहिन। नाटक में नायक पढ़े-लिखे अऊ समझदार रिहिन। ओ ह अपन गांव ल अपन कर्मक्षेत्र माने। नायिका घलो हर कदम म ओखर साथ खड़े रहय। नाटक म एक जसगीत घलो रिहिस, जेन ल स्वयं ममता ह गाए रिहिन। नाटक सफल रहिस अऊ ममता के खूब तारीफ घलो होईस। ऐ नाटक के बाद ओमन ल अभिनय के कई ठन प्रस्ताव घलो मिलिस, जेन ल ममता ह विनम्रता पूर्वक ठुकरा दिस।
अवार्ड व सम्मान
- 1984 में आकाशवाणी वार्षिक प्रतियोगिता म अखिल भारतीय स्तर म मेरिट सर्टिफिकेट।
- 2002-03 म टेलीफोन ले बातचीत करके रिकार्ड कर पारंपरिक छत्तीगसढ़ी गीत के एक घंटा के प्रसारण वाईस ऑफ अमेरिका ले।
- 2004 में रामचंद्र देशमुख सम्मान, भिलाई।
- बिलासा लोकमंच द्वारा बिलासा सम्मान
- भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा आयोजित लोककला महोत्सव म दाऊ रामचंद्र देशमुख सम्मान।
- छत्तीसगढ़ फिल्म अवार्ड म दू बार लगातार श्रेष्ठ पार्श्व गायिका के पुरस्कार। मया दे दे मया ले ले अऊ परदेशी के मया बर।
- छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं साहित्य विकास उन्नयन मंच भाटापारा द्वारा सम्मानित।
- 2008 म बिसाहू दास महंत संस्थान द्वारा राजीव गांधी विशेष सम्मान राज्यपाल द्वारा।
- 2012 में दाऊ मंदिराजी सम्मान, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा।
- 2104 में डी.लिट मानद उपाधि, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा।
- 2014 में छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान, पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा।
- 2016 में पद्मश्री सम्मान भारत सरकार द्वारा।