गांव के माटी म बसथे हमर छत्तीसगढ़ी फिलिम, गीत अऊ संगीत ल प्यार करईया: तारा साहू
जय जोहार बर दिलीप साहू
बहुत ही कम समय म छत्तीसगढ़ी लोककला मंच के संग छत्तीगसढ़ी सिनेमा म अपन पहचान बनईया तारा साहू न केवल मधुर आवाज के मलिका हे, बल्कि अभिनय कला म भी वईसने ही निपुण हावे। आरंग विकासखंड के एक छोटे से गांव कागदेही ले ताल्लुक रखईया तारा ह अपन प्रतिभा के दम म ओ मुकाम हासिल करत हें, जेन म ओखर परिवार के संग ए संग गांव वाला मन ल घलो गर्व हे। जयजोहार ह गायिका व अभिनेत्री तारा साहू ले ओखर संघर्ष के दिन ले छत्तीसगढ़ी सिनेमा तक के सफर ल लेके चर्चा करिन। जेन म तारा ह छत्तीसगढ़ी लोक गीत-संगीत व सिनेमा ल लेके बड़ा बेबाकी के साथ अपन बात कहिन। प्रस्तुत हावे ओखर कुछ चुनिंदा अंश…..
- आपमन लोकगीत-संगीत ले कईसे जुड़ेव, एखर शुरुआत कहां ले होईस?
- मोर परिवार म कोनो कलाकार नइये अउ न ही कोनो ह कला के क्षेत्र म जुड़े हे। मोर माता-पिता दोनों झन खेती-बाड़ी करथे। बचपन ले ही रेडियो म गीत-संगीत सुने के रुचि रहिस। लोकगीत अउ फिल्मी गाना मन ल गुनगुनाना अच्छा लागय। ऊहीं स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम मन म भाग लेय के अवसर मिलिस। जब सातवीं-आठवीं कक्षा म पढ़त रेहेव त खास करके 15 अगस्त अउ 26 जनवरी म होवईया सांस्कृतिक कार्यक्रम म स्वागत गीत व अन्य गीत गाए के मौका मिलय। मोर आवाज के गुरुजन अउ श्रोता मन तारीफ करके मोला प्रोत्साहित करिन।
- आपमन कई ठन लोककला मंच ले जुड़े रेहेव, लोककला मंच तक कईसे पहुंचे?
- हमर गांव के पास खैरझीटी वाले नंदकुमार साहू के रामायण मंडली बहुत प्रसिद्ध हे। स्कूल के दिन म ही नंदकुमार जी के मंडली के साथ जुड़के धार्मिक गीत गाए के शुरुआत होईस। फेर जसगीत घलो गाए ल लग गेव। ऊहीं समय नंदकुमार जी ह सती मोह नाम के एक ठक वीडियो एल्बम निकालिस, जेन म मोला सती के रोल दिस। ए एलबम ह सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड के माध्यम से प्रचारित होईस। एखर बाद मोर मन म ए दुनिया म अपन पहचान बनाय के इच्छा जागिस अउ मेहा रायपुर आगेव। साल 2011 म सीमा कौशिक संग लोककला मंच मोंगरा के फूल म जुड़ेव अउ नवरात्रि म पूरा 9 दिन कार्यक्रम म शामिल हो हव।
- लोक गायिका के रूप म पहचान कईसे मिली ?
- सीमा कौशिक जी के माध्यम से ही घनश्याम महानंद जी से मुलाकात होईस। महानंद जी के संग ही बहुत कुछ सीखे ल मिलिस। ओखर संग लोककला मंच लोक झांझर म नियमित रूप ले गीत गाए के अवसर मिलिस। ओखर संग परंपारिक लोक गीत के संग ही फोक फ्यूजन म भी स्टेज म परफार्म करे बर मिलिस। धीरे-धीरे श्रोता मन के आर्शीवाद से गायिका के रूप म पहचान बनिस।
- आपमन छत्तीसगढ़ी फिलिम म अभिनय भी करत हव। गायन से अभिनय के क्षेत्र म कईसे उतरेव?
- कोंडागांव म एक स्टार नाईट शो होय रिहिस, जेन म मोला अनुज शर्मा, मनमोहन सिंह ठाकुर जईसे कलाकार मन संग परफार्म करे के अवसर मिलिस। स्टार नाईट शो म मेहा सिंगर के रूप म ही भाग ले हव। ऊहीं दौरान छत्तीसगढ़ी सिनेमा ले जुड़े सब कलाकार मन ले परिचय होईस। निर्देशक शैलेंद्र धर पांडेय के तोला ले जाहूं उड़रिया फिलिम म छोटे से रोल करे के अवसर मिलिस। ओखर बाद एजाज वारसी जी के फिलिम कीरिया म अभिनेत्री के रूप म मुख्य भूमिका करे के अवसर मिलिस। जेन म संतोष सारथी, मनमोहन सिंह ठाकुर अउ किस कुर्रे ह मोर हीरो हावे।
- अभी आपमन अउ कोन-कोन से छत्तीसगढ़ी फिलिम म काम करत हव?
- निर्देशक सलीम खान के बाप बड़े न भईया सबले बड़े रुपईया अउ चंद्रशेखर चकोर के फिलिम चक्कर गुरुजी रिलीज हो चुके हे। एखर अलावा जल्दी ही एजाज वारसी के ही निर्देशन म अंधियार अउ प्रकाश अवस्थी के फिलिम राजू दिलवाला म नजर आहूं, जेखर शूटिंग चलत हे।
- गायन अउ अभिनय म कोन से ज्यादा अच्छा लागथे? कामे ज्यादा रूझान हें?
- फिलिम तो मेहा अपन शौक से करत हव। मुख्य प्रोफेशन तो मोर गायन ही रहे। मोला गीत-संगीत मोला अब्बड़ प्यार हे। अभिनय के फायदा ये हावे कि लोगन मन ह जानथे। ओखर लाभ गायन म मिलथे।
- आपमन अपन परिवार वाला मन के कतेक सपोर्ट मिलिस?
- छत्तीसगढ़ी सिनेमा अउ लोककला मंच म काम करईया कलाकार मन बर लोगन मन के नजर म बहुत अच्छा इज्जत नइये। ऐला लेके कई तरह के अफवाह लोगन मन के दिमाग म हावे। जेखर कारण मोरो परिवार ले शुरुआत म कोई सपोर्ट नइ मिलिस। पहिली मोर भईया-भौजी, मम्मी-पापा व रिश्तेदार मन मोर काम पसंद नई करत रिहिस। जेखर सेति मोला अपन मुकाम बनाय बर बहुत संघर्ष करे बर पड़िस, लेकिन आज ओमन मोर उपर गर्व करथे। मोर गांव म जेन मन मोला पहिली हिकारत के नजर से देखय ऊहूं मन अब मिलना चाहथे, बात करना चाहथे। मोर इज्जत करथे
- आपमन विचार से छत्तीसगढ़ी कला, गीत-संगीत, सिनेमा काबर पिछड़े हावे?
- छत्तीगसढ़ी गीत-संगीत अउ सिनेमा ले गांव मन बहुत प्यार करथे। छत्तीसगढ़ी लोककला, गीत-संगीत ल ग्रामीण मनखे मन ही जिंदा रखे हे। ओखरे मन के प्यार अउ दुलार के सेति लोक कलाकर अउ लोककला फलत-फूलत हें। छत्तीसगढ़ी सिनेमा देखईया मन गांव म बसथे। ओखर मन तक हमर सिनेमा के पहुंच नइये। हर बड़े गांव जिहां बाजार लगथे। 10-20 गांव के मनखे मन सकलाथे, ऊहां सिनेमाघर होना चाहिए। ये बहुत बड़े कमी हे।
- छत्तीसगढ़ी लोककला व सिनेमा कईसे बेहतर होहि?
- छत्तीसगढ़ी लोककला व सिनेमा बर सरकार उदासिन हे। सरकार ल ऐमा कोनो रुचि नइये। जब तक सरकारी मदद नइ मिलही, छत्तीगसढ़ी सिनेमा अईसने घिलर-घिलर के चलही। ऊहीं हाल कलाकार मन के हावे। दू-चार झन बड़े कलाकार मन ल छोड़ देन त नृत्य, गायन, अभिनय सहित अन्य विधा ले जुड़े करईया छोटे कलाकार मन के एक समय के बाद स्थिति दयनीय हो जाथे। ओखर मन के कोई पूछईया नइ राहय। आपमन पद्मश्री पूनाराम निषाद जी के आखिरी समय ले अंदाजा लगा सकथव जब पद्मश्री के अतेक दुर्गति होईस, त छोटे कलाकार मन के का हाल होवत होहि। छोटे कलाकार मन के घलो पेंशन व अन्य सुविधा के सरकारी व्यवस्था होना चाहि।
- लोककला व सिनेमा के क्षेत्र म अवईया नवा कलाकार मन बर कोई संदेश?
- आप अगर शिक्षार्थी हव त ए क्षेत्र म आय के पहिली सीखके अपन आप ल मांजके आओ त आपमन के लिए इहां बहुत अवसर हे। ऊहीं इहां पईसा के अभाव हे, ऐखर सेति अपन मूल प्रोफेशन जेन म अगर कुछ आय होवत होहि, ओला बिना छोड़े यहां जुड़व। आपमन ल अपन काम से प्यार होना चाहि। अपन छत्तीगसढ़ी लोक कला, संस्कृति ले लगाव होना चाहि। ऐला बिजनेस के रूप म नहीं दिल से अपनावव।