एक अईसे शिव मंदिर, जिहां भोलेनाथ ल अपन कंधा पर बिठाके लाए रिहिन हनुमान जी.. रामायण काल ले बताए जाथे संबंध
पौराणिक कथा ल पतियाय जाए त हनुमान जी ह शिवजी ल अपन कंधा म इहां लेके आए रिहिन। एखरे सती ए मंदिर के दूर-दूर तक प्रसिद्धि हे। मान्यता हे कि ए मंदिर के स्थापना भगवान श्रीराम के वन गमन के बेरा म होए रिहिस। वनवास के बेरा म जब ओमन छत्तीसगढ़ के ए ठिहा ले गुजरत रिहिस तब इहां शिवलिंग के स्थापना लक्ष्मणजी के हाथ ले होए हे। स्थापना बर हनुमान जी अपन कंधा म शिवजी ल लेके निकल गे रिहिन। बाद म ब्राह्मण देवता ल आमंत्रण दे बर गिन त देर हो गे रिहिस अऊ एखर सती लक्ष्मणजी क्रोधित होवत रिहिन। काबर कि स्थापना म देरी होवत रिहिस। अईसे म जिहां स्थापना के योजना बनाए गे रिहिस उहां न करके बेरा ल देखत शिवलिंग के स्थापना खारुन नदी के तट म ही करे गे रिहिस।
महादेव के आराधना उत्तर भारत ले लेकर दक्षिण भारत तक जम्मो डाहर होथे। देशभर म किसम-किसम ले भगवान भोलेनाथ के पूजा अर्चना करे जाथे। कई मंदिर म महादेव के अराधना अऊ स्थापना ल लेके कई मान्यता हे। एमा छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर म सैकड़ों बछर जुन्ना हटकेश्वर महादेव मंदिर हे जिहां के मान्यता ल जानके आपो मन हैरान हो जाहु। छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर ले लगे महादेव घाट म हटकेश्वर महादेव के ए चमत्कारिक मंदिर हे। खारुन नदी के तट म विराजे महादेव के पाछू त्रेता युग के कहानी बताए जाथे। एखर सती इहां देश ले नहीं बल्कि विदेश ले घलो श्रद्धालु मन दर्शन बर आथे। ए मंदिर खारुन नदी के तट म होए के सती महादेव घाट के नांव ले प्रसिद्ध हे। रायपुर शहर ले 8 किमी दूर स्थित 500 साल पुरखौती के भगवान शिव के ए मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थल मन म एक हे।
आस्था के झरना म डुबकी लगाए बर बड़ संख्या म इहां भक्त मन के तांता लगे रहिथे। मान्यता हे कि ए शिवलिंग के दर्शन मात्र ले भक्त मन के हर इच्छा पूरा हो जाथे। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिर म ए मंदिर के नांव ह संघारे जाथे। ए मंदिर के सिरिफ दर्शन करे बर दूरिहा-दूरिहा ले लोगन मन इहां आथे। बारिक नक्काशी ले सुसज्जित ए भव्य मंदिर के आंतरिक अऊ बाहरी कक्ष मन के शोभा ह देखत बनथे। ए मंदिर के मुख्य आराध्य भगवान हटकेश्वर महादेव नागर ब्राह्मण मन के संरक्षक देवता माने जाथे। गर्भगृह म स्थापित शिवलिंग के तीर म राम-जानकी, लक्ष्मण अऊ बरहादेव के प्रतिमा हे।
पिंडदान का विशेष पूजन
खारुन नदी के बीचों-बीच जाके इहां पूर्वज मन के आत्मा के शांति बर इहां पिंडदान घलो करे जाथे। गया अऊ काशी अईसन इहां घलो पूजा पाठ कराए जाथे।
कार्तिक-पूर्णिमा म लगथे मेला
रायपुर शहर के प्रारंभिक बसाहट खारुन नदी के तट म स्थित महादेव घाट ले होए रिहिस। रायपुर के कलचुरी राजा मन ह सबले पहिली ए क्षेत्र ल अपन राजधानी बनाए रिहिस। राजा ब्रह्मदेव के विक्रम संवत् 1458 याने 1402 ई. के शिलालेख मन ले जानकारी होथे कि हाजीराज ह इहां हटकेश्वर महादेव मंदिर के निर्माण कराए रिहिस। अभी के बेरा म खारुन नदी के तट के आस-पास कई छोटे-बड़े मंदिर बन गे हे। फेर सबले जादा महत्वपूर्ण हटकेश्वर महादेव के मंदिर हे। ए मंदिर बाहर ले त आधुनिक दिखथे फेर एखर संरचना ल देखत इही लागथे कि उत्तर-मध्यकालीन युग के हे। इहां कार्तिक-पूर्णिमा म एक बड़का मेला लगथे। महादेव घाट म ही विवेकानंद आश्रम के संस्थापक स्वामी आत्मानंद (1929-1981) के समाधि घलो स्थित हे।
शिवलिंग स्थापना ल लेके कई मान्यता
मंदिर म शिवलिंग के स्थापना ल लेके कई मान्यता हे जेमा एक मान्यता घलो हे। एमा कहे जाथे कि खारून नदी ल द्वापर युग म द्वारकी नांव ले जाने जाए। बताए जाथे कि महाकौशल प्रदेश के हैहयवंशी राजा ब्रम्हादेव जब नदी किनारा स्थित घना जंगल म शिकार करे बर आए रिहिन त नदी म बोहात एक पथरा के शिवलिंग ल ओमन देखिन जेखर ओमन उहें स्थापना कर दिन। एखर ले अलग एक अऊ मान्यता हे जेन ह लोक सेवा आयोग के परीक्षा म पूछे जाथे। एमा बताए गे हे कि 1400 ईसवी म कल्चुरी शासक भोरमदेव के पुत्र राजा रामचंद्र ह एखर निर्माण करवाए रिहिन।
500 बछर ले जलत हे अखंड धूनी
खारुन नदी राजधानी रायपुर के लाईफ-लाईन आए। जम्मो शहर ल पीए बर पानी इहें ले मिलथे। एखर सती महादेव घाट के रूप म एला प्रसिद्धि मिलस। नदी के घाट ले सीढ़ी मंदिर के प्रवेश दुआर तक बनाए गे हे। महादेव के भक्त खारून नदी के बाद मंदिर म प्रवेश करथे अऊ इहां चढ़ावा बर भक्त चउंर ले के जाथे। इहां कई अलग-अलग मूर्ति हे जिहां भक्त चउंर ल दाम म चढ़ाथे। उहें मंदिर म 500 बछर ले सरलगहा अखंड धूनी प्रजवल्लित होवत हे। महादेव के भक्त धूनी के भभूत ल प्रतिदिन माथा म लगाके अपन घर जाथे। हटकेश्वर नाथ के सामने जूना अखाड़ा हे जिहां बाहिर ले अवईया साधक मन विश्राम करथे।
प्रदेश का पहला लक्ष्मण झूला
धार्मिक मान्यता के संगे-संग पर्यटक ल बढ़ावा दे बर राज्य सरकार कोती ले महादेव घाट म नदी के किनारा दोनों छोर ल जोड़े बर एक लक्ष्मण झूला घलो बनाए गे हे। ए प्रदेश के पहिली झूला आए जेन नदी के उपर श्रद्धालु मन बर बनाए गे हे। प्रदेश भर ले लोगन मन इहां सुबह अऊ शाम ए लक्ष्मण झूला के आनंद ले बर पहुंचथे।
भगवत गीता म हटकेश्वरनाथ के उल्लेख
श्रीमद्भागवत गीता के पांचवें स्कंध के 16वां अऊ 17वां श्लोक म हटकेश्वरनाथ के उल्लेख हे, जेमा कहे गे हि कि हटकेश्वरनाथ अतल लोक म अपन पार्षद मन संग निवास करथे अऊ जिहां स्वर्ण के खान पाए जाथे। मान्यता हे कि हजारों साल पहिली मंदिर के किनारा सोन के बहुतायात रिहिस होही जेन बेरा बदले के बाद लुप्त हो गे हे।
नदी के प्रवाह बुड़ती कोती
राजधानी के दक्षिण भाग म स्थित नदी पश्चिम कोती बोहाथे। अग्निकोण म चिता जलाए जाथे अऊ प्रवेश द्वार उत्तर कोती हे। वायव्य कोण वन ले से आच्छादित हे जिहां शुद्ध वायु प्रवाहित होथे। वास्तु के अनुसार उगती ले बुड़ती बोहईया नदी शुभ अऊ सिद्धि देवईया होथे। एखर सती खारून नदी तट म स्थित मंदिर के बड़ मान्यता हे।