गरमी मा चिरई-चिरगुन बर पानी… नान्हे जीव बर करव ए जतन
अब गरमी ह दिनों दिन नंगत के बाढ़त हे। अइसन बेरा म नदी, नरवा, तरिया अउ कई ठन पानी के नान्हें-नान्हें सरोत मन घलो ठकठक ले सूखा हो जथे। कतको जीव-जंतु, गाय-गरवा, चिरई-चिरगुन संग सबे जीव मन ल पानी बर अब्बड़ कसट करे ल पड़थे।
मनखे संग होगे पंछी-परेवा के यारी, ”मया-दया ला धरे रहिबे संगवारी”
छत्तीसगढ़िया लोगन मन अक्सर ये बात कहिथें। ”मया-दया ला धरे रहिबे संगवारी” …. ये “दया-मया” का ए? अउ “धरे रहिबे” के का मतलब होथे? एकर चर्चा हमन बाद म करबो, पहिली ये बतावन कि मनखे संग परेवा के यारी होगे हे, अइसे यारी कि परेवा हा ओकर संग नई छोड़य, जिहां जाथे ओकर खांद म […]
घोर अंधियारी रात, घनघोर बरसा होवत राहय, नदिया उर्रा-पुर्रा अउ लइका ल धर के पार होना राहय
(जय-जोहार)। भादो के महीना, अंधियारी पाख, आठे के तिथि, घुप अंधियारी रात राहय, बादर गरजत राहय, बिजली चमकत राहय अउ घनघोर बरसा होवत राहय। रोहणी नक्षत्र म मथुरा के कारागार म वसुदेव के पत्नी देवकी के गरभ ले भगवान किसन-कन्हैया हा जनम लिन। अधर्म, अन्याय, अत्याचार के नास करे बर, धर्म अउ न्याय के स्थापना […]
ओ कोन छत्तीसगढ़िया आय जेकर अमर गीत मन ला मिलिस मोहम्मद रफी के आवाज, पढ़व ये खास आलेख… ‘का-का नई रिहिन हरि ठाकुर?’
का-का नई रिहिन हरि ठाकुर?… मनखे एक, फेर करम अनेक। स्वर्गीय हरि ठाकुर बर ये बात बिल्कुल सटीक बइठथे। सोचत हंव -ओकर जयंती म हमन ओमन ला कोन रूप म सुरता करन। का-का नई रिहिन ओमन? एक आदमी हा अपन जिनगी म कतको किसम ले जूझत-परत के-के रूप म देस अउ समाज के सेवा कर […]
कहिनी: जय समाज गंगा…… परदेशी राम वर्मा
परेम मंडल हा पंडवानी गायक नोहय फेर जिहां चार पांच झन मनखे मन ला एक संग सकलाय देखथे त ये गीत ला टिपलिस उड़ाय बर ढील देथे – ”पांचो पंडो मिले आपस म जुआ के खेल रचाये रामा।“ बुधारू, लखन, सीताराम, चुरामन अऊ रामबगस ल पहिर ओढ़ के सइकिल म जात देखिस तहां फेर सुरू […]
गुने के गोठ: लिमउ अउ मिरचा के पीरा
विजय मिश्रा ‘अमित’ बारहों महीना बड़े बिहनिया किंजरे फिरे के मोर आदत हावय। एखर ले तन ल ताजा हवा अउ मन ल किसिम किसिम के बने बने बिचार तको मिलथे। काली के बात आय मेहर रोज कस बिहिनिया चार बजे किंजरे बर निकले रेहंव। उही बेरा म कखरो सिसक सिसक के रोये के आवाज सुने […]
ठेठरी-खुरमी अउ जोहार…? मूल संस्कृति के एक भावात्मक रूप आय..
सुशील भोले. छत्तीसगढ के मैदानी भाग म प्रचलित संस्कृति म वइसे तो किसम-किसम के रोटी-पिठा बनाए जाथे, फेर ठेठरी अउ खुरमी के अपन अलगेच महत्व हे। इहां के जम्मो तीज-तिहार म इंकर कोनो न कोनो रूप म उपयोग होबेच करथे। एकर असल कारन का आय? सिरिफ खाए-पीए के सुवाद के अउ कुछू बात? असल म […]
भारतीय संस्कार अउ संवेदना ले ओतप्रोत काव्य संग्रह “सहस्त्र धारा” के होईस विमोचन
दुर्ग. मुंबई म रहवईया अऊ दुरुग म बढ़े कवयित्री रजनी साहू के काव्य संकलन “सहस्त्र धारा” के विमोचन करे गिस। समारोह अखिल भारतीय अग्निशिखा मुम्बई के तत्वावधान म दुर्ग स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभागृह म होईस। ए दौरान जम्मो मन ह ए काव्य संग्रह ल बहुत पसंद करिस। समारोह के अध्यक्षता प्रसिद्ध लघु कथाकार […]