जोहार इहां के मूल संस्कृति के एक भावात्मक रूप आय, जइसे के ठेठरी-खुरमी आय..
छत्तीसगढ के मैदानी भाग म प्रचलित संस्कृति म वइसे तो किसम-किसम के रोटी-पिठा बनाए जाथे, फेर ठेठरी अउ खुरमी के अपन अलगेच महत्व हे। इहां के जम्मो तीज-तिहार म इंकर कोनो न कोनो रूप म उपयोग होबेच करथे। एकर असल कारन का आय? सिरिफ खाए-पीए के सुवाद के अउ कुछू बात? असल म ए इहां […]
काबर बाहरी लोगन के पिछलग्गू बने ले हम बांचे नइ पावत हन.. ?
शोषण के बहुत अकन रूप होथे। हमन छत्तीसगढ राज आन्दोलन संग जुड़े राहन त राजनीतिक शोषण के बात करन। आने-आने राज ले आए लोगन हमर शासन-प्रसाशन के अधिकार म बइठगे हवंय अउ हमर अस्तित्व के, हमर चिन्हारी के संहार करत हें, हमर मुंह के कौंरा ल नंगावत हें। तब ये सपना देखे गे रिहिसे के […]