हरेली के दिन होय रिहिस छत्तीसगढ़ राज के घोसना, आवव थोरिक जान लन अपन भुंइयां के इतिहास
हमर गोठ-हमर रचना। हरेली तिहार हा हमर छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार आय। फेर आप मन ला ए बात के सुरता नई होही के हमर छत्तीसगढ़ राज के घोसना हरेलीच के दिन होय रिहिस।
राज के आंदोलनकारी नेता अउ ईप्टा के कलाकार इंजीनियर असोक ताम्रकार हा ए बात के सुरता देवावत आज वाट्सअप मैसेज म पोस्ट करिन हें के अलग छत्तीसगढ़ राज के घोसना हरेली के दिन मझनिया 3.07 बजे होय रिहिस। ये कारन हरेली के दिन हा हमर मन बर अउ भी खास दिन हो जाथे।
वइसे तो हरेली के तिहार पूरा छत्तीसगढ़ म पारंपरिक ढंग ले खुसी अउ उछाह ले मनाए जाथे। बने खेती खार हरियावय, जम्मो धनहा लहलहावय अउ चारो कोती खुसियाली छावय, छत्तीसगढ़ महतारी के धान के कटोरा सदा भरे राहय अइसे सुघ्घर कामना करत जम्मो छत्तीसगढ़िया मन हरेली के तिहार मनाथंन।
गउठान म जाके गाय-गरू मन ला नून-पिसान के लोंदी खवाथन, हमू मन बन गोंदली अउ दसमूल जरी के परसाद खाथंन। घर आके हमर किसानी के जम्मो औजार रापा, कुदारी, नागर-बक्खर अउ बइला-भंइसा के पूजा करथंन, गुरहा चीला, भजिया के भोग लगाथन। सुघ्घर कलेवा खाके गेंड़ी चढ़े के मजा लेथंन। संगे-संग नोनी-बाबू मन कबड्डी, खो-खो, फुगड़ी, बिल्लस जइसे खेल मन के मजा घलो लेथें।
ए दरी छत्तीसगढ़ सरकार हा पहिली बार हरेली तिहार म सरकारी छुट्टी घोसित करिस अउ संगे-संग जम्मो पंचायत, जनपद अउ जिला मुख्यालय म पारंपरिक खेल-कूद अउ सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन करके तिहार ला बड़े रूप ले मनाए गिस। जगा-जगा पौधा लगाके हरेली के मूल भाव अउ पुरखा मन के संदेस के पालना घरो करे गिस।
गांव-गांव म घरो-घर बइगा मन के द्वारा लीम अउ अरंडी के रहियर डंगाली मुहाटी मन म लगाए गिस। ए कामना करे गिस के हर घर ले अमंगलकारी सक्ती हा दूरिहा भागय, रोग-सोक, दुख-पीरा के नास होवय, तन-मन ला नकसान करइया सबो प्रकार के कीरा-मकोरा मन दूरिहा भागंय, गांव म रहवइया जम्मो मनखे अउ पसुधन के रक्षा होवय, उंकर स्वास्थ्य बने राहय, पूरा गांव म देवी-देवता मन के किरपा बने राहय अउ सुख, सांति अउ खुसियाली छाए राहय।
हरेली के दिन छत्तीसगढ़ राज के घोसना हा घलो खुसियाली लाने रिहिस। घोसना के बाद राज गठन के प्रक्रिया ल पूरा करे म कुछ समे लगिस अउ 1 नवंबर 2000 के छत्तीसगढ़ राज के गठन होगे। छत्तीसगढ़ हा भारत के एक ठन राज आय। एहा भारत के २६वां राज आय। पहिली ये हा मध्य प्रदेस म रिहिस।
इतिहासकार मन के मानना हे के “छत्तीसगढ़” हा वैदिक अउ पौराणिक काल ले ही कतको संस्कृति मन के विकास के केन्द्र रेहे हे। इहाँ के प्राचीन मन्दिर अउ मूर्ति, खंडहर-चबूतरा मन ले पता चलथे के इहां वैस्नव, सैव, साक्त, बौद्ध संस्कृति मन के अलग-अलग काल म परभाप रिहिस हे। आज छत्तीसगढ़ हा भारत म सबले तेजी ले विकास करत हे।
इतिहासकार मन के कहना हे के छत्तीसगढ़ हा प्राचीनकाल के दक्षिण कोसल के एक हिस्सा आय अउ एकर इतिहास पौराणिक काल तक पाछू चले जाथे। पौराणिक काल के ‘कोसल’ प्रदेस, कालान्तर म ‘उत्तर कोसल’ अउ ‘दक्षिण कोसल’ नाम ले दू भाग म बंट गे रिहिस। एकरे ‘दक्षिण कोसल’ हा आज छत्तीसगढ़ कहलाथे। ए क्षेत्र के महानदी जेकर नाम ओ काल म ‘चित्रोत्पला’ रिहिस, एकर उल्लेख मत्स्य पुराण, महाभारत के भीष्म पर्व अउ ब्रह्म पुराण के भारतवर्ष वर्णन प्रकरण म हे।
वाल्मीकि रामायण म घलो छत्तीसगढ़ के बीहड़ बन अउ महानदी के स्पस्ट बरनन हे। सिहावा नगरी के सिहावा पर्वत के आश्रम म निवास करइया श्रृंगी रिसी हा अयोध्या म राजा दसरथ के इहाँ पुत्र्येष्टि यज्ञ करवाए रिहिन, जेकर ले तीनों भाई समेत भगवान श्री राम के पृथ्वी म अवतार होईस। राम के काल म इहाँ के बन म रिसी-मुनि-तपस्वी मन आश्रम बनाके निवास करंय अउ अपन वनवास के समय म भगवान राम इहां आए रिहिन।
इतिहास म एकर प्राचीनतम उल्लेख सन 639 ई० म प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्मवेनसांग के यात्रा विवरण म मिलथे। उंकर यात्रा विवरण म लिखाए हे के दक्षिण-कौसल के राजधानी सिरपुर रिहिस। बौद्ध धर्म के महायान साखा के संस्थापक बोधिसत्व नागार्जुन के आश्रम सिरपुर (श्रीपुर) म ही रिहिस। ओ समय छत्तीसगढ़ म सातवाहन वंस के एक साखा के सासन रिहिस। महाकवि कालिदास के जनम घलो छत्तीसगढ़ म होय रिहिस, अइसे माने जाथे।
प्राचीन काल म दक्षिण-कौसल के नाम ले प्रसिद्ध ए प्रदेस म मौर्य, सातवाहन, वकाटक, गुप्त, राजर्षितुल्य कुल, सरभपुरीय वंस सोमवंस नल वंस, लचुरिमन के सासन रिहिस। छत्तीसगढ़ म क्षेत्रीय राजवंस के घलो कई जगा म रिहिस हे। क्षेत्रिय राजवंस म बस्तर के नल अउ नाग वंस, कांकेर के सोमवंस अउ कवर्धा के फणि-नाग वंस परमुख रिहिन।
1905 म छत्तीसगढ़ राज के नक्सा बनिस। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं.सुन्दरलाल शर्मा ला छत्तीसगढ़ राज के प्रथम स्वप्नद्रष्टा माने जाथे। ओमन 1918 म छत्तीसगढ़ ला परिभासित करिन। 1924 म पहली बार रायपुर जिला परिषद की बैठक म पृथक छत्तीसगढ़ राज के प्रस्ताव लाए गिस।
1939 म कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन म छत्तीसगढ़ के मांग उठाए गिस। 1955 रायपुर विधायक ठा.रामकृष्ण सिंह हा म.प्र.विधानसभा म अनौपचारिक प्रस्ताव रखिन। 1956 म बैरिस्टर छेदीलाल अउ खूबचंद बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ महासभा के गठन करे गिस। 1967 म खूबचंद बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ भातृत्व संघ के गठन करे गिस। 1979 म शंकर गुहा नियोगी हा छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के गठन करिन। 1993 म रविन्द्र चौबे हा म.प्र.विधानसभा म सासकीय प्रस्ताव पेस करिन। 1998 म म.प्र.विधानसभा द्वारा छ.ग. निर्माण कर सहमति दे गिस।
2000 म म.प्र. राज्य पुनर्गठन एक्ट जुलाई म प्रस्तुत होईस। 25 जुलाई 2000 के विधेयक लोकसभा म प्रस्तुत होइस। 31 जुलाई 2000 के पारित होईस। 3 अगस्त 2000 के राज्यसभा म प्रस्तुत होईस अउ 9 अगस्त 2000 के पारित होईस। 28 अगस्त 2000 के राष्ट्रपति के.आर.नारायण द्वारा अनुमोदित होईस अउ 1 नवम्बर 2000 के छत्तीसगढ़ हा देस के 26 वां राज बनिस।
ओ समे देस के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी रिहिन, ओकर बिसेस प्रयास अउ रुचि ले छत्तीसगढ़ राज के गठन होईस, तेकर सेती लोगन मन अटल जी ला छत्तीसगढ़ राज के निर्माता मानथें।