आज जयंती मा विशेषः अमर गीतकर अउ गायक – लक्ष्मण मस्तुरिया
आलेख- ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर‘
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी… मंय छत्तीसगढ़िया अंव… पता दे जा रे गाड़ी वाला… पड़की मैना… मंगनी म मांगे मया नइ मिलय… मन डोले रे माघ फगुनवा… घुनही बंसुरिया… सोना खान के आगी… जइसे गीत के लिखइया जन कवि स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया के आज तीसरा पुण्य तिथि हरे. मस्तुरिया जी हा अपन अपन गीत, कविता अउ गायन के माध्यम ले छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ला जगाइस अउ सुग्घर ढंग ले अपन हक खातिर लड़े के रद्दा बताइस. वोकर गीत मा एक डहर जिहां छत्तीसगढ़ महतारी के गजब बखान हे अउ दूसर कोति छत्तीसगढ़वासी मन के भोला पन के वर्णन के संगे संग किसान, मजदूर ला जगाय के उपाय हे.
जिनगी भर छत्तीसगढ़िया मन के मान मर्यादा बर लड़इया अइसन क्रान्तिकारी कवि अउ गीतकार के जनम बिलासपुर जिला के मस्तुरी गाँव म 7 जून 1949 के होय रिहिस हे. शुरुआत के जिनगी गजब संघर्ष ले बीतिस.वोहर राजकुमार कालेज रायपुर म शिक्षक के रूप म अपन सेवा दिस. बाद म हिंदी विभागाध्यक्ष घलो रिहिस. जउन मन ह दाउ रामचन्द्र कृत चंदैनी गोंदा ला अपन खूब मिहनत ले ऊँचाई तक पहुँचाइस वोमा लक्ष्मण मस्तुरिया ह प्रमुख रिहिस. लक्ष्मण मस्तुरिया ह गीत अउ गायन पक्ष ल गजब सजोर बनाइस.
मस्तुरिया जी के लिखे अउ गाये गीत ह जनता के बीच गजब लोक प्रिय होइस . छत्तीसगढ़ के आकाशवाणी केन्द्र मन म उंकर गीत ह खूब चलिस. रायपुर दूरदर्शन म गीत प्रसारित होइस. उंकर गीत ल सुन के मन हा खुशी से झूमे लागय त कतको गीत ह छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाइस. वोकर गीत के खूब आडियो अउ वीडियो रूप बनिस. पान ठेला, होटल के संगे संग बर बिहाव, षट्ठी, कोनो भी सार्वजनिक कार्यक्रम म मस्तुरिया जी के गीत रंग झाझर मंता देय. वोकर गीत ल सभा -संगोष्ठी म बजा के / गा के जनता म जोश भरे जाथे. स्कूल / कॉलेज के वार्षिक समारोह म मस्तुरिया के गीत ह कार्यक्रम म जान डाल देथे.
लक्ष्मण मस्तुरिया के बारे म डॉ. बल्देव जी ह लिखथे –“लक्ष्मण मस्तुरिया हमर अग्रज कवि हरि ठाकुर जइसन वीर अउ ऋंगार, क्रांति अउ पीरित के अद्वितीय गायक आय .कहूँ -कहूँ उन बहुत करीब हे, लेकिन शैली के थोर बहुत अन्तर तो रहिबेच करही.”
छत्तीसगढ़वासी मन के स्वाभिमान ल वो कइसे जगाइस वोकर उदाहरण देखव –
सोन उगाथौं माटी खाथौ ।
मान ल देके हांसी पाथौ ।।
खेती खार संग मोर मितानी । घाम मयारु हितवा पानी ।।
मोर इही जिनगानी मंय नगरिया अंव ग
किसन के बड़े भइया हलधरिया अंव रे …
झन कह मोला लेढ़वा डोमी करिया अंव ग
सिधा म सिधा नइ तो डोमी करिया अंव रे…
मैं छत्तीसगढ़िया अंव रे…
मोर संग चलव गीत म वोहर छत्तीसगढ़िया मन ल जगाय के काम करथे. बिपत संग जूझे बर कहिथे-
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी
वो गिरे थके हपटे मन अउ परे
डरे मनखे मन
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव ग
बिपत संग जूझे बर भाई मंय बाना बांधे हंव ।
सरग ल पिरथी म ला देहू प्रन अइसे ठाने हंव ।।
मोर सुमता के सरग निसेनी जुरमिल सबो चढ़व रे….
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी…
मस्तुरिया जी के ऋंगार गीत ल सुन के मन ह मयूर जइसे नाचे ल लगथे. अंतस ह मगन हो जाथे.
पता दे जा ले जा गाड़ी वाला रे
तोर नाम के तोर गाँव के तोर काम के…
पता दे जा…
जियत जागत रहिबे बयरी
भेजबे कभू ले चिठिया
बिना बोले भेद खोले रोये
जाने अजाने पीरीतिया
बिन बरसे उमड़े घुमड़े
जीव मया के बयरी बदरिया
पता दे जा रे गाड़ी वाला…
अइसने “पड़की मैना “गीत ल सुनके हिरदे ल गजब उछाह लागथे-
वारे मोर पड़की मैना, तोर कजरेली नैना
मिरगिन कस रेंगना तोरे नैना
मारे वो चोंखी बान, हाय रे तोर नैना…
वियोग ऋंगार रस मा मस्तुरिया के गीत ल सुन के मया करइया मन के आंसू ह टपक जाथे-
काल के अवइया कइसे आज ले नइ आये
तोला का होगे, रस्ता नइ दिखे बइरी तोर…
का कहूं रस्ता म काहीं अनहोनी होगे
का कहूं छोड़ मया ल संगवारी जोगी होगे
घेरी बेरी डेरी आंखी कइसे फरकाये
तोला का होगे, टीपकी टीपकी आंसू गिरे मोर…
अइसने अउ उदाहरण प्रस्तुत हे..
सरी रतिहा पहागे तैं नइ आये रे
तोला घेरी बेरी बइरी मंय सपनायेंव रे…
अइसन का होगे काम
भूलिगै देह ल परान
का तो महि हौं अभागिन
अपने होगे आन
आ आ नींद बइरी आंखी ले उड़ि जाय रे…
शोषण करइया मन ल मस्तुरिया जी खूब ललकारय –
हम तो लूट गयेन सरकार तुंहर भरे बीच दरबार
खुल्लम -खुल्ला राज म तुंहर अहा अत्याचार
रइहो रइहो खबरदार…
हाय विधाता दिन -दिन बाढै देस म अत्याचारी
परमिट वाले डाकू भइगे जन सेवक सरकारी
सुतरी सुतरी छांद फांद के लूटै पारी -पारी
हांस रे लछमन करम ठठा नइ रोवे म उबार
हम तो लूट गयेन सरकार तुंहर…