ऐ हरे कलजुग के सरवन बेटा.. दो दसक जुन्ना स्कूटर ले अपन महतारी ल करात हे चार धाम के यात्रा
जय जोहार. अपन जनम देवईया बर आज कोनों मेर समय नई हे फेर एक दू अईसे उदाहरण दिख जाथे जेला देखे बाद मन म यकीन हो जाथे कि आज कलजुग म घलो सरवन कुमार जईसे बेटा नंदाय नई हे। अईसनेच एक बेटा कर्नाटक के मैसूरवाले गांव के डी. कृष्ण कुमार घलो हे।
चार साल पहिली पिता के निधन हो गे। महतारी ह एक दिन कहिस कि तोर पिता संग कभू वेल्लूर मंदिर तक नई घुमें हों अऊ छोड़के चल दिस। उही बात के दर्द कृष्ण कुमार के मन म घर कर लिस अऊ ठान लिस कि वेल्लूर मंदिर भर नई बल्कि अपन जनम देवईया महतारी ल चार धाम घुमाहूं।
कृष्ण कुमार अपन पिता के दो दशक जुन्ना स्कूटर म अपन महतारी ल बईठा के तीरथ धाम म निकले हे। सालभर म ओ ह तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पांडिचेरी के यात्रा कर शनिवार के दंतेवाड़ा पहुंचे रिहिन। इहां मां दंतेश्वरी के दर्शन ओमन करिन।
माता-पिता के सेवा खातिर बिहाव नई करईया कृष्ण कुमार ह कहिथे कि महतारी के सेवा ह अब ओखर बर जम्मो कुछ हरे। पिता के जुन्ना स्कूटर म देश के जम्मो तीरथ ल कराए के जूनून ओला हे। ऐखर ले ओमन ल जेन सुकून मिलथे ओला शब्द म बयान नई करे जा सके। उहें मां कुंडा रत्ना ह कहिथे कि मोर बेटा ह बिहाव नई करे हे अऊ उही मोर बेटा ए अऊ बेटी ए। ओमन ह भगवान ले दुआ मांगथे कि भगवान ह जम्मो मनखे ल अईसन संतान दे। ओमन कहिथे कि कृष्ण कुमार ओखर बहुत खयाल रखथे।
जुन्ना गाड़ी ल तीरथ बर प्रयोग करे के संबंध में कृष्ण कुमार कहिथे कि ओ ह चाहतीस त दूसर गाड़ी ले तीरथ कर सकत रिहिस फेर पिता के स्कूटर ल चुने के पाछू इही मंशा रिहिस कि ओ ह अपन पिता के हमेशा करीब होए अऊ अपन महतारी के पति के करीब होए के अहसास ल महसूस करे।
कृष्ण कुमार बताथे कि यात्रा के दउरान ओमल ल कोनों तरह के कोई दिक्कत नई आहे। जिहां भी जाए उहां सुग्घर मनखे मन ले मुलाकात होईस। जब लोगन मन ल पता चलथे कि अपन महतारी ल तीरथ कराए बर निकले हे त बड़ सम्मान घलो पाथे। संगे-संग मदद घलो करथे।