छत्तीसगढ़ में गरीबों का बढ़ रहा मान… आर्थिक संपन्नता के लिए सरकार कर रही बेहतर से बेहतर प्रयास
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई न्याय योजनाओं से समाज के शोषित वंचित और गरीब तबकों का न केवल मान बढ़ा है बल्कि इन योजनाओं की बयार से बड़ी राहत मिल रही हैं। सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 20 क्विंटल कर दी है। स्वामी आत्मानंद स्कूलों की श्रृंखला और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना जैसी नवाचारी पहल से लोगों को आसानी से शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रहीं हैं। बेरोजगारों को प्रतिमाह भत्ता मिलना प्रारंभ हो चुका है। इसी तरह से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों की भी चिंता करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि कर उनका मान बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस पर श्रमिकों का मान बढ़ाने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की हैं। कार्यस्थल पर दुर्घटना मृत्यु में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि एक लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तथा स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में इन्हें देय राशि 50 हजार से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने की घोषणा की। साथ ही अपंजीकृत श्रमिकों को भी कार्यस्थल पर दुर्घटना से मृत्यु होने पर एक लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी।
इसी प्रकार श्रमिकों के लिए मासिक सीजन टिकट एमएसटी जारी किया जाएगा, इससे घर से रेल अथवा बस से कार्यस्थल तक पहुंचने में सुविधा मिलेगी। यह कार्ड 50 किमी तक की यात्रा के लिए मान्य होगा। पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों को नवीन आवास निर्माण अथवा क्रय के लिए 50 हजार रुपए का अनुदान और हार्ट सर्जरी, लीवर ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, पैर के घुटने की सर्जरी, कैंसर, लकवा जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के अतिरिक्त भी 20 हजार रुपए का अनुदान निर्माणी श्रमिकों को मिलेगा।
छत्तीसगढ़ में शिक्षित बेरोजगारों को 2500 रूपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 250 करोड़ रूपये का नवीन मद में प्रावधान किया है। बेरोजगारी भत्ता योजना के पात्र पाए गए 66 हजार 256 युवाओं के खाते में 16 करोड़ रूपए की राशि उनके बैंक खाते में अंतरित की गई है। राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना का विस्तार करते हुए इसे नगर पंचायतों में भी लागू किया है। इस योजना में 4 लाख 99 हजार से अधिक लोगों के बैंक खाते में अब तक 476.62 करोड़ की राशि अंतरित की गई है।
सरकार ने अपनी विभिन्न योजनाओं में काम करने वाले कर्मचारियों की भी चिंता करते हुए उनके मानदेय में वृद्धि करने की घोषणा की है। आंगनबाड़ी सहायिका का मानदेय वर्ष 2018 तक 2,500 रूपए प्रतिमाह था, जिसे बढ़ाकर 3,250 रूपए किया गया। वर्ष 2022-2023 में इसे बढ़ाकर 5,000 रूपए कर दिया गया। मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय वर्ष 2018 तक 3,250 रूपए प्रतिमाह था, जिसे बढ़ाकर 4,500 रूपए किया गया। वर्ष 2022-23 में इसे बढ़ाकर 7,500 रूपए किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय वर्ष 2018 तक 5,000 रूपए प्रतिमाह था, जिसे 6,500 रूपए किया गया। वर्ष 2022-23 में इसे बढ़ाकर 10 हजार रूपए किया गया।
मध्यान्ह भोजन रसोईयों का मानदेय 1,500 से बढ़ाकर 1,800 रूपए की गई है। स्कूल स्वच्छताकर्मियों का मानदेय 2,500 रूपए से बढ़ाकर 2,800 रूपए कर दिया गया है। मितानिनों को राज्य मद से 2,200 रूपए प्रतिमाह देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार वृद्ध पेंशन, विधवा, निराश्रित पेंशन की राशि को 350 रूपए से बढ़ाकर 500 रूपए कर दिया गया है। स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्ष को 750 रूपये और सदस्यों को 500 रूपये मानदेय प्रतिमाह मिलेगा।
ग्राम कोटवारों को सेवा भूमि के आकार के अनुसार अलग-अलग दरों पर मानदेय दिया जाता है। सरकार ने ग्राम कोटवारों को दिए जाने वाले मानदेय की दरों में भी वृद्धि की है, जिसके अनुसार 2,250 के स्थान पर 3,000 रूपए, 3,375 के स्थान पर 4,500 रूपए, 4,050 के स्थान पर 5,500 रूपए और 4,500 के स्थान पर 6,000 रूपए किया गया है। होमगार्ड के जवानों का मानदेय न्यूनतम 6300 से अधिकतम 6420 रूपये प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी की गई है। ग्राम पटेलो का मानदेय 2000 रूपए से बढ़ाकर 3000 रूपए प्रतिमाह किया गया है।