गांव तक पहुंचे बर न सड़क हे न पुलिया, नरवा सती स्कूल नई जा सकय लइका मन
रायगढ़. आजादी ल 71 साल हो गे फेर सारंगढ़ ब्लॉक म एक ठन अइसन गांव हे, जिहां के लोगन मन आज तलक विकास के मुख्यधारा ले नई जुड़ पाए हे। लात नरवा के किनारा अउ गोमर्डा अभ्यारण के घनघोर जंगल के बीच म बसे हे ये नरगिखोल गांव, जिहां मूलभूत सुविधा बर लोग तरसत हे। ये गांव के सुध लेवईया कोनो नई हे, आज तक न कोनो सांसद-विधायक न कोनो प्रसासनिक अधिकारी इंहा के लोन मन के हालचाल पूछे बर अइन हे।
नरगिखोल गांव ह सारंगढ़ ब्लॉक मुख्यालय ले 19 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कनकबीरा के आश्रित गांव हरे। सौ झन जनसंख्या वाले ये गांव म शतप्रतिशत आबादी ह बिंझवार जनजाति वर्ग के हे। इहां के लोग मन बर सबसे बड़ी समस्या आए-जाए बर रस्ता के नई बनना हे। राष्ट्रीय राजमार्ग ले सिरफ तीन किलोमीटर दूर होए के बाद घलो लोग मन ह पक्की सड़क ले नई जुड़ पाए हे। गांव म प्राथमिक शाला बस हे, जेमा 14 झन लइका पढ़त हे अउ उंहा 3 शिक्षक हे।
आघू के पढ़ई बर तीन किलोमीटर दूर कनकबीरा गांव जाना पड़थे उहू म लात नरवा ल पार करना बड़का चुनौती बन जाथे, काबर कि ये नरवा म कोनो जगह न पुल बने हे अउ न रपटा। बारिश के दिन म नरवा म बहाव तेज हो जाथे, जेखर कारण लइका मन चार महीना स्कूल जाए ल वंचित हो जथे। शिक्षक मन ल घलो नरवा ल तैर के पार करत स्कूल आना पड़थे।
नाला ल पार करे बर कोनो तरह ले वैकल्पक बेवस्था घलो नई हे, जेखर सती सबले जादा दिक्कत बीमार पडईया मनखे या गर्भवती माता मन ल प्रसव पीडा के समय होथे। काबर कि वो समय म ट्रक के टिव म हवा भरके खटिया के सहारा म नरवा ल पार कराना पड़थे। गांव वाले मन ह सासन-प्रसासन ले कई बार लात नरवा म रपटा अउ पुल बनाए के मांग करिन हे फेर समस्या ह जस के तस हे। आज घलो इहां के लोग मन ह मूकदर्शक अउ लाचार हे।
वन विभाग ले घलो कोर इलाका अंतरगत नरवा म रपटा बनाए के गुहार लगा डारिन हे फेर हर बार वन विभाग ह जादा बजट के हवाला देवत स्वीकृति दे म आनाकानी करत रहिथे, जेखर कारण ले नरगिखोल के लोगन मन ह परेशानी झेलत हे।