दुर्ग. मुंबई म रहवईया अऊ दुरुग म बढ़े कवयित्री रजनी साहू के काव्य संकलन “सहस्त्र धारा” के विमोचन करे गिस। समारोह अखिल भारतीय अग्निशिखा मुम्बई के तत्वावधान म दुर्ग स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभागृह म होईस। ए दौरान जम्मो मन ह ए काव्य संग्रह ल बहुत पसंद करिस। समारोह के अध्यक्षता प्रसिद्ध लघु कथाकार […]
हमन लइका रेहेन त हमर गाँव नगरगांव ले बोहाने वाला कोल्हान नरवा म गरमी के दिन म झिरिया कोड़ऩ अउ वोमा कूद-कूद के नहावन। सुशील भोले संजय नगर, रायपुर वो लइका पन के उमंग रिहिस हे। फेर आज इही झिरियाह गरमी के दिन म लोगन के जीए के सहारा बनत हे। छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्र […]
खोमेन्द्र देशमुख. छत्तीसगढ़ के ए पुराना कहावत हे कि घुरुआ के दिन घलो बहुरथे…। याने कि अईसन चीज जेखर कोनों महत्व ल नई समझिस तेखर थोड़किन दिन बाद अब्बड़ महत्व ह बाढ़ जाथे। इही हाल अब छत्तीसगढ़ म अब खुदेच घुरुआ के होए बर हे। घुरुआ भर नहीं बल्कि ओखर संग नरवा, गरुआ अऊ बारी के […]
सुशील भोले आजकाल ‘अस्मिता” शब्द के चलन ह भारी बाढग़े हवय। हर कहूँ मेर एकर उच्चारन होवत रहिथे, तभो ले कतकों मनखे अभी घलोक एकर अरथ ल समझ नइ पाए हे, एकरे सेती उन अस्मिता के अन्ते-तन्ते अरथ निकालत रहिथें, लोगन ल बतावत रहिथें, व्याख्या करत रहिथें। अस्मिता असल म संस्कृत भाषा के शब्द आय, […]
सुशील भोले मुंदरहा के सुकुवा बिखहर अंधियारी रात पहाये के आरो देथे। सुकुवा के दिखथे अगास म अंजोर छरियाये के आस बंध जाथे। चिरई-चिरगुन मन चंहचंहाये लगथे, झाड़-झरोखा, तरिया-नंदिया आंखी रमजत लहराए लगथें। रात भर के खामोशी नींद के अचेतहा बेरा के कर्तव्य शून्य अवस्था ले चेतना के संसार म संघराये लगथे। तब कर्म बोध […]
सुशील भोले , +919826992811 छत्तीसगढ के मूल संस्कृति इहां के मेला-मड़ई की संस्कृति आए। इहां के लोक पर्व मातर के दिन मड़र्ई जागरण के संगे-संग इहां मड़ई-मेला के शुरूआत हो जथे जेन ह महाशिव रात्रि तक चलथे। मड़ई के आयोजन जिहां छोटे गांव-कस्बा अऊ गांव म भरईया बाजार म आयोजित करे जाथे उंहें मेला के […]
आज के लइका मन बांटा म दाई-ददा ल बांट लेथें कोन काकर संग रइही अपन हिस्सा म छांट लेथें होथे जरूरत जब जादा एक-दूसर संग रहे के तब बज्जुर छाती करना परथे ए बीपत ल सहे के मया-पिरित के बंधना लइकई-झगरा म टूट जथे जाने कइसे ए उमर म आके देव-कृपा ह रूठ जथे […]
झबेंन्द्र भूषण महासचिव, प्रगतिशील किसान संगठन लोकतंत्र म चुनाव ह कोनों नवा बात नोहे। बछर-बछर म चुनावी तिहार मनाए के मऊका लोगन ल इंहां मिलत रहिथे। हर बार एक अलग उत्साह होथे, हर कोई अपन लाभ चुनाव म ढूंढत रहिथे। खैर ऐ त रिहिस हमर सुग्धर लोकतंत्र के सुग्धर बात। अब बात करथन ऐ दरी […]
सुधा वर्मा छत्तीसगढ़ राज्य ल बने 18 बछर होगे हे पर अभु तक छत्तीसगढ़ी भाखा स्कूल मन म नइ पहुंच पाइस हे। ये सरकार के कमजोरी हे। अइसे कउन प्रांत हे जिहां उहां के भाखा म पढ़ाई नइ करे जात हे? जे भाखा के व्याकरन 1885 म हिंदी ले पहिली ले लिखे गेहे, ओला बोली […]
सुधा वर्मा छत्तीसगढ़ राज्य ल बने 18 बछर होगे हे पर अभु तक छत्तीसगढ़ी भाखा स्कूल मन म नइ पहुंच पाइस हे। ये सरकार के कमजोरी हे। अइसे कउन प्रांत हे जिहां उहां के भाखा म पढ़ाई नइ करे जात हे? जे भाखा के व्याकरन 1885 म हिंदी ले पहिली ले लिखे गेहे, ओला बोली […]