नवा पीढ़ी बर प्रेरक व्यक्तित्व सुशील भोले
विजेंद्र वर्मा, नगरगाँव (धरसींवा) जिला -रायपुर
हमर अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार सुशील भोले जी ह अपन जीवन के 62 बसंत 2 जुलाई के पूरा करत हे। मोर बड़ सौभाग्य रहिन कि भोले जी ल बड़ नजदीक से जाने अउ सुने बर मिलिन, काबर भोले जी के पैतृक गाँव नगरगांव ह मोरो गाँव ये। ओकर जीवन के आदर्श ह केवल कुर्मी समाज भर नहीं वरन पूरा जनमानस ल प्रभावित करे हे।
साहित्य के प्रति ओकर अडिग आस्था ल देख के मँय नतमस्तक हो जथव। वइसे तो हमर गाँव ल साहित्यकार के गाँव तको कहि सकथव। डॉ. ध्रुवकुमार वर्मा, रंगू प्रसाद नामदेव जी ह माटी के मान बढ़ाइस। अउ अब सुशील भोले जी ह कलम साधना ले माटी ल महकावत हवै। मोर बर बड़ गौरव के बात हरे हमन अनेकों मंच मा काव्य पाठ संघरा तको करे हन। एक संवेदनशील, विचारवान अउ जागरूक साहित्यकार के साथ मंच साझा करइ गौरव के बात तो रहिबे करही। हिंदी होय या छत्तीसगढ़ी भाखा कोनो भी विधा मा ओकर कलम सरलग चलते रहिथे। श्रृंगार होय चाहे शोषण या श्रम होय, उँकर कलम ह लिखे मा नइ डरय। एक निर्भिक साहित्यकार भोले जी के श्रम गीत याद आथे-
सुन सुन बोली कान पिरागे, आश्वासन के धार बोहागे।
घुड़ुर घाड़र लबरा बादर कस, अब तो तोरो दिन सिरागे।
हमला आँसू कस बूँद नहीं, अब महानदी कस धार चाही।
चिटिक खेत अउ भर्री नहीं, हम ला सफ्फो खार चाही।
हमर हाथ मा जबर कमइया, धरती सरी चतवार चाही।
अइसन गीत के सिरजइया सुशील भोले जी के जन्म 02/07/1961 दू जुलाई उन्नीस सौ इकसठ मा भाटापारा मा होय रिहिस. उंकर पिताजी ह उहें गुरुजी रिहिन फेर गाँव उकर मन के नगरगाँव ह आय। पिता स्व. रामचन्द्र वर्मा, माता- स्व. उर्मिला देवी वर्मा, माता पिता के बड़का संतान सुरेश वर्मा दूसरइया सुशील वर्मा मिथलेश वर्मा, कमलेश वर्मा चार भाई अउ दू झन बहिनी प्रभा अउ सरोज वर्मा।
पिताजी स्व.राम चन्द्र वर्मा प्राथमिक शाला मा गुरुजी रहिन। उनकर पिता जी द्वारा लिखित प्राथमिक हिंदी व्याकरण अउ रचना अनुपम प्रकाशन रायपुर ले छप के मध्य प्रदेश राज्य के समे कक्षा तीसरी चौथी पाँचवी के पाठ्य पुस्तक मा चलय। पिताजी के लेखन ले प्रेरणा लेके सुशील जी ह तको लेखन के क्षेत्र मा आइस। सुशील जी के परिवार मध्यम वर्गीय परिवार रिहिस हे। 1994 ले 2015 के बीच मा आध्यात्मिक साधना काल मा
अर्थोपार्जन के काम ले अलग रहे के कारन गरीबी के तको के सामना करे बर पड़े हे परिवार ल। उनकर पिता जी के नाँव नगरगाँव मा दू एकड़ के खेती एक कच्चा मकान अउ एक खलिहान रिहिस चारों भाई मन के बँटवारा होय ले खेती अउ सिकुड़गे। सुशील जी ल संजय नगर, रायपुर के मकान बस बँटवारा मा मिले रिहिस हे।
सुशील जी ह हायर सेकंडरी अउ आईटीआई करे के बाद रोजी रोटी बर प्रेस मा कम्पोजिटर के काम तको करिन, प्रेस मा काम करत आगू बढ़िस अउ दैनिक अग्रदूत साप्ताहिक पत्रिका म उँकर प्रतिभा ल देख के संपादकीय काम के जिम्मेदारी दिस। 1983-84 मा ओकर पहिली कविता के प्रकाशन होइस। प्रदेश के यशस्वी पत्रकार साहित्यकार प्रो. विनोद शंकर शुक्ल जी ह उँकर रचना मा संसोधन करके फेर छपवाइस तब ले सुशील जी के लेखनी ह सरपट दउँड़े बर लगगे। उही बीच मा दैनिक तरूण, दैनिक अमृत संदेश अउ दैनिक छत्तीसगढ़ मा सह संपादक के पद मा तको काम करिन।
1988 से 2005 तक खुदे के व्यवसाय बर प्रिंटिंग प्रेस के संचालन अउ मासिक पत्रिका “मयारू माटी” के प्रकाशन संपादन अउ साथे मा आडियो कैसेट रिकार्डिंग स्टूडियो के संचालन तको करिन। ‘मयारू माटी’ ह छत्तीसगढ़ी भाषा के पहिली संपूर्ण मासिक पत्रिका आय। सुशील जी के बिहाव श्रीमती बसंती देवी वर्मा से होइस जेकर से तीन बिटिया रत्न नेहा, वंदना, ममता के रूप मा मिलिस। तीनों बिटिया के शादी करके एक तरह से गंगा नहा डरे हे।
सुशील भोले जी के प्रकाशित कृतियाँ मा
छितका कुरिया (काव्य संग्रह), दरस के साध (लंबी कविता), जिनगी के रंग (गीत अउ भजन संकलन), ढेंकी (कहानी संकलन), आखर अंजोर (छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति ल उजागर करत लेख मन के संकलन), भोले के गोले (व्यंग्य संग्रह), सब ओखरे संतान (चारगोड़िया मनके संकलन), सुरता के संसार (संस्मरण)
कालम लेखन मा भोले जी ह तको अगुवा रिहिन
तरकश अउ तीर दैनिक नव भास्कर 1990, आखर अंजोर दैनिक तरूण 2006-07, डहर चलती दैनिक अमृत संदेश 2009, गुड़ी के गोठ साप्ताहिक इतवारी अखबार 2010ले 2015, बेंदरा बिनास 1988-89, किस्सा कलयुगी हनुमान के 1988-89, प्रदेश अउ राष्ट्रीय स्तर मा गंज अकन पत्र पत्रिकाओं मा कविता, कहिनी, समीक्षा, साक्षात्कार नियमित रूप ले प्रकाशन होत राहय।
लहर अउ फूलबगिया आडियो कैसेट मा उँनकर गीत लेखन अउ गायन के एक नवा अंदाज सुने देखे बर मिलथे। भजन गायन अउ गीत गावत तको कइ ठन सांस्कृतिक मंच मा भोले जी दिख जथे। गुजरात के राजधानी अहमदाबाद मा 8 अक्टूबर 2017 मा भारत सरकार के साहित्य अकादमी ह गुजराती अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य के आयोजन करे रिहिस जेन मा सुशील भोले जी ह तको कविता पाठ करे रिहिस हे उँकर साथ डा. केशरी लाल वर्मा, डॉ. परदेशी राम वर्मा, रामनाथ साहू अउ मीर अली मीर जी ह तको प्रतिभागी रिहिन हे।
सम्मान अउ पुरस्कार के बात करबो त भोले जी ल 2010 मा छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग ले आयोजित कार्यक्रम मा भाषा सम्मान ले सम्मानित करे जा चुके हावै। बहुत अकन सामाजिक संगठन साहित्यिक संगठन, सांस्कृतिक संगठन मा भोले जी सम्मानित होय हे।
सुशील भोले जी के रुझान ह बचपन ले अध्यात्म मा हावय तेकरे सेती अध्यात्म मा वोला कबीर दास बहुत पसंद हे। उँकर पसंदीदा लेखक राष्ट्रीय मा मुंशी प्रेमचंद, अंर्तराष्ट्रीय मा गोर्की अउ स्थानीय मा लोक जीवन अउ जन चेतना बगरइया जम्मो लेखक बहुते पसंद हे।
उकरे सेती वोहा छत्तीसगढ़ के मूल आदिधर्म अउ संस्कृति ल बिशेष रूप ले लिखथे, वाचन करथे, अउ प्रकाशन अउ जमीनी स्तर मा पुनस्र्थापित करे के काम करथे। इही कारन आय 1994 से 2008 तकरीब 14 साल तक साहित्य, संस्कृति, कला ला सिरजाय खातिर गृहस्थ जीवन ल अलग करके आध्यात्मिक साधना मा लीन होगे रिहिन। जब गाँव आइन त हमन देख के अकबका गेयेन हमन सोचन येहा साधु बनगे तइसे लागथे कहिके गोठियावन फेर पूछे के हिम्मत नइ जुटा पात रेहेन।
आज उँकर इच्छा हवै छत्तीसगढ़ के मूल आदि धर्म अउ संस्कृति के मापदंड मा ही इहाँ के सांस्कृतिक- इतिहास के पुर्नलेखन होवय. उँकर कहना हावय अभी तक जेन भी लिखे हे, लिखाय हे उत्तर भारत ले आय ग्रन्थ के हिसाब ले लिखे हवै। येकरे सेती अइसन कोनों ग्रन्थ ल छत्तीसगढ़ के धर्म संस्कृति इतिहास के मानक नइ मान सकन आज जरूरत हावै छत्तीसगढ़ के संस्कृति अउ धर्म, इतिहास ल इहाँ के अपन मूल संदर्भ मा लिखा जाय। इही कहना हे भोले जी के।
वर्तमान मा भोले जी 24 अक्टूबर 2018 से लकवा ले ग्रसित हे, तभो ले घर मा रहिके साहित्य साधना अनवरत करत हे। नवा पीढ़ी बर सीखे के एक सबक आय अतका दुख तकलीफ मा अइसन जीवटता वाले व्यक्ति ल मँय बचपन से देखत सुनत आवत हौं।
दुख के पहाड़ टूट अँधियारी रात भोले जी के जीवन मा आय हे, हम सब के पूरा बिश्वास हे निराशा के बादर छटही अउ भोले जी के जिनगी मा सूरज नवा बिहान लेके आही। अइसन कामना करत श्री सुशील भोले जी ल 62 साल पूरा होय के गाड़ा गाड़ा बधाई देवत शुभकामनाएँ पठोवत हँव।