नदा गे हमर झिरिया के पानी.. फेर जागत हे उम्मीद
हमन लइका रेहेन त हमर गाँव नगरगांव ले बोहाने वाला कोल्हान नरवा म गरमी के दिन म झिरिया कोड़ऩ अउ वोमा कूद-कूद के नहावन।
सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
वो लइका पन के उमंग रिहिस हे। फेर आज इही झिरियाह गरमी के दिन म लोगन के जीए के सहारा बनत हे। छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्र ले अइसन सोर मिलत रहिथे, के नंदिया-नरवा, कुआं-बावली, बोरिंग-सोरिंग मन झुक्खा परत हें। लोगन जीव बचाए बर झिरिया कोड़-कोड़ के बूंद-बूंद पानी सकेलत रहिथें।
सरकार ल एकर ऊपर गंभीरता ले सोचना चाही। इहां अतेक नंदिया-नरवा हे। बरसात म वोकर पानी ल रोके-छेंके के कुछु उदिम करना चाही, तेमा गरमी म अइसन ताला-बेली के बेरा मत आवय।
अभी नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी के जोरदरहा नारा चलत हे, त भरोसा जागथे, के ए विकराल समस्या कोती चेत करे जाही।
दुख के बात ए आय के इहां जतका भी नीति बनथे, सब बड़े-बड़े कारखाना मनला पोंसे अउ मरत ले पानी पियाए के नीति बनथे। खेत-खार ल सींचे अउ गांव के तरिया-डबरी ल लबालब भरे के नीति नइ बनय। जबकि कृषि प्रधान राज्य म कृषि ऊपर आधारित नीति बनना चाही।
मोर तो ए सुझाव हे, के एक पंचवर्षीय योजना ल पूरा के पूरा कृषि ल समरपित कर देना चाही। इहां जतका भी नंदिया-नरवा हे, सबो म हर तीन-चार कि.मी. के दुरिहा म छोटे-छोटे स्टाप डेम बना दिए जाना चाही।
एकर एक फायदा ए होही, के इहां के पूरा राज भर म किसान मन आसानी के साथ दू फसली खेती कर सकहीं। संग म इहां के चारोंमुड़ा के भू-जल स्तर बाढ़ही। कुंआ-बोरिंग मन म बारों महीना लबालब पानी रइही।
कोनो गांव के रहइया मनला झिरिया कोड़ के जीव बचाय के जोखा करे बर नइ लागही। भरोसा हे ए नवा सरकार के चेत ए मुड़ा जाही।