महतारी मन राखीन कमर छठ के व्रत, लईका के स्वास्थ्य अउ लंबा उमर के करीन कामना
महुआ के पतरी म, पसहर के भात।
मिंझर के चुरहि, भाजी के छै जात।।
भइस के दही संग, पाबोन परसाद।
दाई पोता मार के, दिही आसिरबाद।।
महतारी मन लइका खातिर, करे हे उपास।
जुग जुग जिए मोर लइका, अइसे हे बिस्वास।।
महतारी मन के सदा, सजे रहय सिंगार।
जम्मो झन बर सुग्घर हो, कमरछठ के तिहार।
पूरा छत्तीसगढ़ म कमरछठ के तिहार माई लोगिन मन बने ढंग ले मनाईन, इही कड़ी म नवा रायपुर के सेरीखेड़ी गांव के कर्मा माता मंदिर प्रांगण म कमरछठ के पूजा करे गिस । जेमा गांव के महतारी मन बड़ संख्या म रिहींन।अपन लइका के तबीयत पानी बने रहाय अउ ओखर दीर्घायु होय के कामना के साथ महतारी मन ये पर्व म माटी के शंकर, पार्वती, गणेश, कार्तिकेयअउ नंदी बना के पूजा पूजा करथे।
कनेर, धतुरा, मंदार, बेल पत्ती अउ सफेद फूल ये पर्व म चढ़ाए जाथे। बता दन कि ये दिन महतारी मन प्रसाद के रूप म पसहर चावल , भैंसी के दूध , दही मुनगा अउ जरी के भाजी के संग छह प्रकार के भाजी पूजा के बाद ग्रहण करथे । ये दिन महतारी मन हल ले उत्पन्न खाद्य फसल ले परहेज करथे।