छत्तीसगढ के एक अईसे गांव जिहां मछरी पकड़े बर लगथे मेला,14 बछर बाद फेर शुरू होईस “बंधा मतऊर मेला”
कोंडागांव. जिला के माकड़ी ब्लाक के बरकई गांव म कई बछर जुन्ना मालगुजार बेरा ले चलत आवत अनोखा पुरखौती मेला बंधा मतऊर मेला के आयोजन होईस। 14 बछर बाद शनिवार के दिन धूमधाम ले ए मेला के आयोजन करे गिस। जेमा बरकई गांव के संगे-संग 50 ले 60 गांव ले आए अढई हजार ले जादा मनखे म संघरिन। ए परंपरा म गांव वाला मन बड़ संख्या म एकत्र होईस। जम्मो लोगन मन तरिया ले मछरी पकड़े के जुन्ना परंपरा ले बनाए रखिन। बरकई गांव म ए परंपरा म सबले पहिली गाजा बाजा संग पूजा कर गांव के प्रमुख मालगुजार रामप्रसाद पांडे ल जम्मो गांव वाला मन स-सम्मान तरिया म लाथे।
मालगुजार रामप्रसाद कोती ले विधिवत पूजा करे के बाद जम्मो लोगन तरिया ल तरिया ले मछरी पकड़े के अनुमति नई दे जब तक मालगुजार रामप्रसाद पांडे कोती ले आदेश जारी नई होए। एखर पहिली कोनों मनखे तरिया के अंदर प्रवेश नई कर सके। लगभग 1 ले डेढ़ घंटा तक माता ल प्रसन्न करे बर बाजा बजाए जाथे। लोगन मन तरिया ले मछरी पकड़े बर किसम-किसम के जाली ल बऊरथे। लगभग डेढ़ घंटा तक मछरी पकड़े के बुता चलथे। जेखर बाद फेर मालगुजार के आदेश म मछरी पकड़े के बुता ल बंद करे जाथे।
गांव वाला मन के मानना हे कि ए परंपरा म सीमित समय तक लोगन मन ल तरिया ले बड़े अऊ छोटे मछरी पकड़े बर मिलथे। मालगुजार के मना करे के बाद कोनों मनखे तरिया म मछरी पकड़े बर जाथे त ओ ह मछरी नई पकड़ पाए। ए बछर अढई हजार ले जाली लेके 50 ले 60 गांव के मनखे मन संघरे रिहिन। जम्मो लोगन मन अपन-अपन जाली ले तरिया ले मछरी पकड़िन। कोनों 4 ले 5 किलो मछरी पकड़िन त कोनों 10 किलो तक के मछरी ल पकड़िस।
ए बंधा मतऊर मेला के आयोजन अंतिम बार बछर 2008 म करे गे रिहिस। फेर शासन विसंगति के सती तरिया ल लीज म दे दे गे रिहिस। एखर सती 14 साल ले ए परंपरा के निर्वहन नई हो पात रिहिस। फेर बरकई गांव म बईठका कर शीतला मंदिर म माता शीतला के आदेश म फेर ले ए परंपरा के सुरुआत करे गिस। ए अनोखा परंपरा बस्तर ले लेके छत्तीसगढ़ के कोनों हिस्सा म देखे बर नई मिले।