जंगल के रास्ता ले राशन लाए बर मजबूर हवय गांववाले मन ह
धमतरी। जिला के कई ग्राम पंचायत मुख्यालय म राशन दुकान नइये। लोगन मन ल घने जंगल के बीच ले गुजर के हर माह 3 किलोमीटर चले के बाद राशन मिलथे। बारिश म काफी परेशानी के सामना करे बर पड़थे। जेखर सेती कई परिवार म चूल्हा नइ जलय। अउ पड़ोसी मन ले उधार म राशन ले के परिवार के सदस्य मन के भूख मिटए बर पडथे। शासन के अन देखी के सेती ग्रामीण मन बदहाली म जिंदगी जीए बर मजबूर हवय। अइसने एक गांव नगरी ब्लाक म हवय चनागांव। जिहां के मनखे मन ह राशन लाए बर तीन किलोमीटर जंगल ले पार करथे।
गांव में शासकीय उचित मूल्य की दुकान नइ हवय। जो गांववाले बर मुसीबत हवय। आश्रित गांव म दुकान हे। मजबूर गांववाले मन ह जंगल के रास्ता ले 3 किमी पैदल चलके राशन लाये मजबूर हवय। ग्रामीण मन के मांग हवय कि शासन गांव म ही राशन दुकान खोल देवय। ताकि परेशानी उठाए बर नइ पड़य। नगरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत चनागांव के प्रेमबाई अउ मालती दुपहरी तपते धूप म पैदल 3 किमी चलके आश्रित गांव छिंदभर्री ले सिर म राशन सामग्री ले आवत रहिसे हे। एखरे संग गांव के तिहारू राम सायकल म राशन लेके एक बच्ची के संग चलत रहिस हे। गांववाले के कहिना हे कि हमारा दुर्भाग्य हवय कि ग्राम पंचायत चनागांव के निवासी हवन। कहे बर पंचायत मुख्यालय म रहिथन। लेकिन इहां राशन दुकान नइ होय के कारण आश्रित गांव छिंदभर्री जाए बर पड़थे। जिहां राशन दुकान हवय। अइसे म उंमन ल गांव से 3 किमी जंगल के रास्ता ले चलके हर माह राशन लाए बर पड़थे। एखर ले परेशानी होवत हवय। गांव वाले मन बताथे कि कई दफा शासन ले गांव म राशन दुकान खोले के मांग कर चुके हवन। मगर शासन-प्रशासन ध्यान नइ दिस हे।
चनागांव ले छिंदभर्री जंगल रास्ता हे। ये मार्ग ज्यादातर बखत सूना रहिथे। महिला, युवती अउ बालिका मन लखतरा बने रहिथे। गांव म ऐसे परिवार घलो हवय जिहां सियान मन हवय। जे मन ह चावल नइ ल सकय। अइसे परिवार के लोगन मन ह दूसर ल रुपिया दे के अपन राशन मंगवाथे। एखर सेती उंमन ल अलग ले खरचा करे बर पड़थे। गांववाले मन ह शासन ले मांग करिस हे कि पंचायत मुख्यालय म राशन दुकान खोले जाए, ताकि गांव वाले मन ल राशन बर 3 किमी पैदल चलना नइ पड़य।